कृमि के कारण बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास होता है बाधित:- जिलाधिकारी

बक्सर:- जिले के एक से 19 साल तक के बच्चों को कृमि से बचाने के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जा रहा है। जिसका विधिवत शुभारंभ जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने गुरुवार को जिला मुख्यालय स्थित बुनियादी विद्यालय में स्कूली बच्चों को अल्बेंडाजोल की दवा खिलाकर की। इस मौके पर जिलाधिकारी ने कहा कि बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए उनमें कृमि को खत्म करना जरूरी है।            ये कृमि बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को पूरी तरह से प्रभावित करते हैं। कई मामलों में बच्चों में एनीमिया कृमि के कारण ही देखी गई है। उन्होंने बताया कि कृमि एक ऐसा परजीवी है, जो मानव की आंतों के पोषक तत्वों को नष्ट कर देता है। इसका खतरा पहले छोटे बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता था, लेकिन अब कृमि ने बड़ों को भी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। वैसे तो पेट में कृमि होना एक संक्रामक रोग है, जो खाद्य पदार्थों की साफ सफाई न होने या दूषित जल से उपयोग से ज्यादा फैलती है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और आईसीडीएस विभाग को समन्वय स्थापित कर अभियान को सफल बनाने की अपील की। छूटे हुए बच्चों के लिए 19 मार्च को चलाया जाना है मॉप अप राउंड:-जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. विनोद प्रताप सिंह ने बताया कि 15 मार्च को जिले के सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर विशेष अभियान चलाते हुए एक से 19 साल के बच्चों को अल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी।           जो बच्चे इन दवाओं का सेवन करने से वंचित रह जाएंगे, उनके लिए 19 मार्च को मॉप अप राउंड चलाया जाना है। इसके लिए जिले के 10,00,478 लाख बच्चों को चिह्नित किया गया है। उन्होंने बताया कि कृमि रोग लगने से बच्चों के जीवन पर कई बड़े हानिकारक प्रभाव भी पड़ते हैं। कृमि रोग लगने से बच्चों के शरीर में थकावट ज्यादा रहती है और पढ़ाई में उनका मन भी नहीं लग पाता है। इसलिए इस रोग से बचने के लिए बच्चों को कभी खुले में शौच नहीं जाने दें, कुछ भी खाने से पहले हाथ धोएं, खाना ढका हुआ ही खाएं और साफ पानी पिएं। कृमि के कारण स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति में कमी आती है। जिसको देखते हुए सरकार के निर्देश पर बच्चों के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाता है। एक से दो साल तक के बच्चों को आधी गोली पीसकर व पानी में घोलकर पिलाना है:-डॉ. विनोद प्रताप सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों के मंच के माध्यम से 1-19 वर्ष की आयु के सभी पूर्वस्कूली और स्कूल आयु वर्ग के बच्चों को उनके समग्र स्वास्थ्य, पोषण संबंधी स्थिति, शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए कृमि मुक्त करना है।         अलग अलग उम्र के बच्चों को अलग अलग विधि से दवाओं का सेवन कराना है। एक से दो साल तक के बच्चों को आधी गोली पीसकर व पानी में घोलकर पिलाना है। वहीं, दो से 19 साल के बच्चों को अल्बेंडाजोल की एक गोली चबाकर खाने के बाद पानी पीना है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन गोलियों को किसी भी बच्चे को खाली पेट नहीं खिलानी है। उन्होंने बताया कि कई मामलों में दवाओं का सेवन करने के बाद बच्चों को उल्टी, मितली या चक्कर जैसे लक्षण दिखेंगे। जो उनमें कृमि की मौजूदगी के कारण होती है। इसलिए घबराने की बात नहीं है। यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है।             मौके पर आईसीडीएस डीपीओ रंजना कुमारी, डीईओ अनिल कुमार द्विवेदी, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक हिमांशु सिंह, सदर सीडीपीओ श्वेता सिंह, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक प्रिंस कुमार सिंह, यूएनडीपी के कोल्ड चेन हैंडलर मनीष कुमार, बुनियादी विद्यालय के प्राचार्य प्रमोद कुमार, शिक्षक व शिक्षिकाएं तथा छात्र-छात्राएं कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

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