कृषि विज्ञान केंद्र भी करेगा एमडीए में सहयोग:- डॉ. अनुज

कैमूर:- फाइलेरिया के राज्य सलाहकार डॉ अनुज सिंह रावत ने बुधवार को कृषि विज्ञान केंद्र, अधौरा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं वनवासी सेवा केंद्र के अध्यक्ष डॉ. सदानंद राय से मुलाक़ात की। मुलाक़ात के दौरान एम.डी.ए कार्यक्रम में सहयोग एवं जनसहभागिता के लिए विस्तार से विमर्श किया।कृषि विज्ञान केंद्र, एम.डी.ए. के विषय में करेगा जागरूक:-डॉ. राय ने बताया कि वह कृषि विज्ञान केंद्र एव, वनवासी सेवा केंद्र के साथ विगत 32 वर्षों से जुड़े हैं। इसके कारण जिले की एक बड़ी आबादी के साथ उनका एवं संस्थान के लोगों का नियमित तौर पर कृषि एवं इससे जुड़े हुए कई सामाजिक मुद्दों पर विमर्श व प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया भी उन्हीं सामाजिक मुद्दों का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 10 फरवरी से आयोजित होने वाले एमडीए राउंड में अधिक से अधिक लोगों को दवा सेवन सुनिश्चित कराने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र अपने सभी कार्यक्रमों में लोगों को एमडीए के संबंध में जागरूक करेंगे।           डॉ. राय ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र अधौरा जिले के लगभग 20 लाख लाभार्थियों को दवा खिलाने हेतु पूर्णतः प्रतिबद्ध है और हम सभी के द्वारा शतप्रतिशत सहयोग प्रदान किया जाएगा। ताकि फाइलेरिया मुक्त कैमूर की परिकल्पना को साकार किया जा सके। डॉ. अनुज ने कृषकों को एमडीए पर किया जागरूक:-डॉ. अनुज सिंह रावत ने जिले के सभी 11 प्रखण्डों से आए हुए कृषकों को फाइलेरिया बीमारी के लक्षण, बीमारी से बचाव व सरकार द्वारा प्रदान की जा रही विभिन्न सुविधाओं के संदर्भ में विस्तार से जानकारी प्रदान की। डॉ. रावत ने कहा कि यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है और सभी को इस दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सामने किया जाना है । जिले में 10 फरवरी से 2 दवाओं का सेवन कराया जाएगा, जिसमें प्रारम्भ के 3 तीन दिनों तक बूथ के माध्यम से एवं 14 दिनों तक घर-घर जाकर दवा का सेवन कराया जाएगा। यह दवा 2 वर्ष से कम आयु, गर्भवती महिलाओं एवं गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को छोडकर अन्य सभी को खाना आवश्यक है। उन्होंने कृषकों से अपील करते हुए कहा कि वे स्वयं दवा का सेवन एवं आसपास के लोगों को भी दवा सेवन के लिए प्रेरित करें। कार्यक्रम के अंत में सभी कृषकों से एमडीए के दौरान दवा सेवन करने का संकल्प लिया। जिले में 1295 हाथीपाँव एवं 270 हाइड्रोसील के मरीज:- डॉ. अनुज ने बताया कि राज्य के सभी 38 जिले फाइलेरिया से प्रभावित हैं और अभी तक जिले में 1295 हाथीपाँव और 270 हाइड्रोसील के मरीज है। डॉ रावत ने बताया कि यह मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है जिसके लक्षण परिलक्षित होने में 8 से 15 वर्षों तक का समय लगता है। इस बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह बीमारी वैश्विक स्तर पर दूसरी स्थाई दिव्यांगता का कारक है। इस दौरान सीफार, पटना से रंजीत, कृषि विज्ञान केंद्र से वैज्ञानिक डॉ. अमित सिंह, डॉ. नीरज, डॉ. राहुल, अंकज झा, संतोष झा सहित कई अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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