हाथीपांव से पीड़ित मरीजों का बनाया जा रहा दिव्यांगता प्रमाण पत्र, ऑनलाइन प्रकिया शुरू

सासाराम:- देश में फाइलेरिया उन्मूलन के साथ-साथ फाइलेरिया पीड़ित लोगों को राहत देने के लिए सरकार कई अभियान चला रही है। फाईलेरिया पीड़ित लोगों को सरकार ने दिव्यांग श्रेणी में लाकर उन्हें कई सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। इसके लिए पीड़ित लोगों का दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाया जा रहा है। रोहतास जिले में भी फाइलेरिया से पीड़ित लोगों का दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। इसके लिए फाइलेरिया पीड़ित मरीजों को इसकी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है और दिव्यांगता सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए पूरी विधि भी बताई जा रही है। जिला फाइलेरिया उन्मूलन केंद्र के साथ-साथ पिरामल स्वास्थ्य टीम के द्वारा भी लाइन लिस्टिंग किए गए फाइलेरिया मरीजों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र के बारे में विस्तृत से जानकारी देते हुए इसका लाभ लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। रोहतास जिले में 2200 के आसपास फाइलेरिया से पीड़ित मरीज मौजूद है, जिसमें दिनारा प्रखंड में सर्वाधिक 300 के आसपास मरीज मौजूद है। उसके बाद जिले के डेहरी प्रखंड में भी सर्वाधिक इसके मरीज पाए गए हैं।
हाथीपांव पीड़ित मरीजों को मिलेंगी कई सुविधाएं:-पिरामल स्वास्थ्य के सीडीसी सरोज कुमार दुबे ने बताया कि दिव्यांगता प्रमाण पत्र को लेकर जिले में प्रक्रिया शुरू हो गई है| उन्होंने बताया कि अब तक एक दर्जन के आसपास लोगों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। सरकार द्वारा जारी www. Swavlambancard.gov.in पर दिव्यांग व्यक्ति किसी भी साइबर कैफे पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।         रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद प्रप्ति रसीद को सदर अस्पताल स्थित दिव्यांग कार्यालय में जमा करना होता है। उसके बाद उन्हें जांच के लिए एक निश्चित तारीख बताई जाएगी। निश्चित तारीख पर गठित टीम जांच करके फाइलेरिया पीड़ित को दिव्यांगता सर्टिफिकेट प्रदान करेगी। उन्होंने बताया कि अधिक दिव्यांगता प्रमाण पत्र पाने वाले को सामाजिक कोषांग के माध्यम से 500 रुपए प्रतिमाह सहायता राशि प्रदान की जाएगी। इसके अलावा दिव्यांग श्रेणी वाले लोगों को मिलने वाले सभी सुविधाएं हाथपांव से हुए दिव्यांग लोगों को प्रदान की जाएगी। फ़ाइलेरिया से पीड़ित कोई भी व्यक्ति किसी भी साइबर कैफे में सरकार द्वारा जारी पोर्टल के माध्यम से अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकता है। हाथीपांव एक लाइलाज बीमारी:-वेक्टर डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी जयप्रकाश गौतम ने बताया कि हाथीपांव एक गंभीर बीमारी है। यदि एक बार हो जाए तो इसे ठीक नहीं किया जा सकता है, इसलिए इसे लाइलाज बीमारी भी कहा जा सकता है, परंतु समय से पहचान और थोड़ी सी सावधानी बरतने पर इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। जयप्रकाश गौतम ने बताया कि हाथीपांव अपने पांचवे चरण के बाद काफी कष्टदायक हो जाता है। और लोग लगभग लगभग दिव्यांग हो जाते हैं क्योंकि ऐसे मरीजों को उठने बैठने या चलने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए ऐसे लोगों को सरकार ने दिव्यांग की श्रेणी में रखा है। जयप्रकाश गौतम ने बताया कि हाथीपांव से निपटने के लिए जिला स्तर पर लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है और सरकार के प्रायोजित कार्यक्रम सर्वजन दवा सेवन अभियान के दौरान अधिक से अधिक लोगों को दवा खिलाने का प्रयास किया जाता है।

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