जटिल प्रसव प्रबंधन में राज्य की स्थिति में हुआ सुधार

पटना:- मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार प्रयासरत है. सुरक्षित प्रसव मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में अहम भूमिका निभाता है. जटिल प्रसव के प्रबंधन से गर्भवती माता और उसके नवजात दोनों की जिंदगी बचायी जा सकती है. सुरक्षित प्रसव के संपादन में प्रसव पूर्व जांच एवं एनीमिया प्रबंधन को सबसे जरुरी माना जाता है. प्रसव पूर्व जांच से गर्भवती महिलाओं की सभी तरह की जांच कर किसी भी जटिलता की पहचान की जाती है और ससमय उसके प्रबंधन में आसानी होती है.
एम्स पटना, एडिशनल प्रोफेसर सह स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डॉ. इंदिरा प्रसाद ने बताया कि रक्तअल्पता सुरक्षित प्रसव में एक बड़ा अवरोधक साबित होता है इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपने गर्भकाल के दौरान 180 आयरन की गोली खाने की सलाह दी जाती है।                 राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों ने गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व जांच एवं आयरन की गोलियों की खपत में सुखद आँकड़े प्रस्तुत किये हैं. राज्य में आयरन की गोली की खपत में 300 प्रतिशत की हुई वृद्धि:-राज्य की गर्भवती महिलाओं ने गर्भकाल के दौरान रक्तअल्पता के खतरों को समझा है और आंकड़ों में 300 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गयी है. स्वास्थ्य विशेषग्य के अनुसार गर्भावस्था के दौरान हर महिला को कम से कम 180 आयरन की गोली का सेवन करना चाहिए ताकि माँ और उसका गर्भस्थ शिशु दोनों स्वस्थ रह सकें. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 के आंकड़ों के अनुसार राज्य की 2.3 प्रतिशत महिलाएं गर्भकाल के दौरान 180 आयरन की गोलियों का सेवन करती थी वहीँ राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं का प्रतिशत बढ़कर 9.3 हो गया है जो की 300.4 फीसदी अधिक है. जिलों की बात करें तो भागलपुर में 14.4 प्रतिशत, बांका में 13.8 प्रतिशत, पटना में 13 प्रतिशत, बेगुसराय में 11.6 प्रतिशत एवं मुंगेर में 11.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है.प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं को दी जा रही सुविधा:-प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत राज्य के सभी जिलों एवं प्रखंड स्तर पर हर महीने के 9 एवं 21 तारीख को गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए विशेष स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाता है. शिविर में महिलाओं की सभी जांच जैसे रक्तचाप, ब्लड शुगर, एनीमिया, वजन आदि की जांच की जाती है और जरुरी दवा एवं सलाह दी जाती है. जटिल समस्यां वाली महिलाओं को रेफर किया जाता है ताकि उनका समुचित प्रबंधन किया जा सके. सभी महिलाओं को अस्पताल अथवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ही प्रसव कराने की सलाह दी जाती है।

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