सामान्य दिखने वाले लोगों में भी हो सकता है फाइलेरिया के परजीवी

सासाराम:- फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर प्रतिवर्ष सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान चलाई जाती है जिसमें फाइलेरिया के परजीवी को बढ़ने से रोकने के लिए लोगों को दवा खिलाई जाती है। इसके पूर्व नाइट ब्लड सर्वे के माध्यम से लोगों के रक्त की जांच करके फाइलेरिया पीड़ित क्षेत्र का पता लगाया जाता है साथ ही लोगों में फाइलेरिया के परजीवी का भी पता लगाया जाता है। रोहतास जिले में इस बार एक साथ सभी 19 प्रखण्डों में जारी नाइट ब्लड सर्वे अभियान रोहतास में फाइलेरिया की पोल खोलेगा। पिछले साल 42 केंद्रों से 12605 लोगों का सैंपल एकत्रित किया गया था जिसमें से 90 लोगों में फाइलेरिया के परजीवी पाए गए थे। इस बार भी सभी प्रखंड के कुल 42 गांव में एक साथ नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जा रहा है। लक्ष्य पर दिया जा रहा है बल:-नाईट ब्लड सर्वे के लिए राज्य स्वास्थ समिति द्वारा प्रत्येक गांव में 300 लोगों का सैंपल एकत्रित करने का दिशा निर्देश दिया गया है। इस तरह से रोहतास जिले में 42 गांव में 12600 लोगों का रक्त संग्रहित कर जांच किया जाना है। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जिला फाइलेरिया विभाग द्वारा सोमवार की रात्रि से अभियान की शुरुआत कर दी गई।           जिले में 1 जुलाई से शुरू नाईट ब्लड सर्वे 8 जुलाई तक आयोजित किया जाएगा। वही वीडीसीओ जय प्रकाश गौतम ने एमडीए अभियान से जुड़े सभी सहयोगी पार्टनर्स और अन्य वीडीसीओ के साथ बैठक कर नाइट ब्लड सर्वे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति पर विचार किया। जय प्रकाश गौतम ने कहा की लोगों को जागरूक करना होगा कि नाइट ब्लड सर्वे क्यों जरूरी है तभी लोग नाइट ब्लड सर्वे के लिए आगे आएंगे सामान्य दिखाई देने वाले लोगों में भी हो सकता है फाइलेरिया के परजीवी:-जयप्रकाश गौतम ने बताया कि हाइड्रोसील का ऑपरेशन करा कर फाइलेरिया से छुटकारा पाया जा सकता है परंतु हाथीपाव का इलाज या ऑपरेशन पूरे भारत में मौजूद नहीं है। उन्होंने बताया कि हाथी पांव का लक्षण सामान्यतः शुरुआती दौर में दिखाई नहीं देता है। इसके परजीवी शरीर में प्रवेश करने के बाद 8 से 10 सालों में इसके लक्षण दिखाई देता है तब तक बहुत देर हो जाती है उन्होंने बताया कि यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया के पैरासाइट रात्रि में ही सक्रिय होता है, इसलिए इसकी जांच के लिए सैम्पल रात्रि 8:30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक एकत्रित किया जाता है और 24 घंटे के भीतर उस सैंपल की जांच की जाती है। उन्होंने कहा कि सामान्य दिखने वाले लोग में भी फाइलेरिया के परजीव हो सकते हैं, ऐसे में सामान्य दिखने वाले लोग भी अभियान के तहत अपना जांच जरूर करवाएं, क्योंकि यह अभियान साल में एक ही बार चलाया जाता है।

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