धीमी प्रगति वाले प्रखंडों में समय से पूरा कराएं नाइट ब्लड सर्वे का लक्ष्य:-एसीएमओ

आरा:-जिले में चल रहे नाइट ब्लड सर्वे का लक्ष्य निर्धारित अवधि में पूरा किया जाए। जिन प्रखंडों में लक्ष्य के अनुरुप धीमी प्रगति है, वहां पर फ्रंटलाइन वर्कर्स, स्थानीय जनप्रतिनिधि व प्रबुद्ध जनों के साथ मिलकर लोगों को नाइट ब्लड सर्वे को लेकर लोगों को जागरूक करें। ताकि, सर्वे के साथ-साथ लिए गए रक्त की स्टैनिंग भी समय से पूरी की जा सके। उक्त बातें अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने नाइट ब्लड सर्वे की अद्यतन रिपोर्ट की समीक्षा के दौरान कही। एसीएमओ ने सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को जिले में 27 जून से शुरू हुए नाइट ब्लड सर्वे की गति तेज करने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि जिले के सभी प्रखंडों को मिलाकर 9000 लोगों के खून का सैंपल लेना है।          जिनमें प्रत्येक प्रखंड से 300 नमूने सेंटिनल और 300 रैंडम साइट्स से लेने है। उन्होंने सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को लक्ष्य के अनुरुप कार्य करने का निर्देश दिया है। एनबीएस को लेकर लोगों को करें जागरूक:- डॉ. सिन्हा ने कहा कि सर्वे कार्य की सफलता में सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम व बीसीएम को अपनी भागीदारी सुनश्चित करना होगा। शत प्रतिशत सफ़लता के लिए चयनित स्थलों के आसपास बैनर, पोस्टर एवं माइकिंग के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाए। जिससे लोगों में जागरूकता आए कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए क्यों एनबीएस जरूरी है। लोगों को बताया जाए कि खून में फाइलेरिया के परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं। इसलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट का पता चल पाता हैं। नाइट ब्लड सर्वे की गतिविधियों का आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया व माइक्रो फाइलेरिया की दर को जानना है। नाइट ब्लड सर्वे से यह पता चलेगा कि जिले में कितने प्रतिशत लोगों में फाइलेरिया का परजीवी मौजूद है। सेंटिनल साइट्स पर लक्ष्य के अनुरूप हो रहा कार्य:-एसीएमओ डॉ. सिन्हा ने बताया कि जिले में निर्धारित सेंटिनल साइट्स पर लक्ष्य के अनुरूप कार्य हो रहा है। वहीं, रैंडम साइट्स की प्रगति धीमी है। उन्होंने बताया कि रात में हो रही बारिश के कारण लोगों के ब्लड का सैंपल लेने में थोड़ी परेशानी आ रही है, लेकिन जल्द ही ब्लड सैंपल लेने का काम पूरा कराया जायेगा। ताकि, स्लाइड्स के स्टैनिंग का काम भी समय से पूरा कराया जा सके।          उन्होंने बताया कि एनबीएस की जांच में अगर संबंधित प्रखंड में एक व उससे अधिक प्रतिशत लोगों के ब्लड सैंपल में माइक्रो फाइलेरिया की पुष्टि होती है, तो पूरे प्रखंड के लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए वहां सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) चलाया जाता है। उन्होंने बताया कि चयनित गांवों में अगर कोई फाइलेरिया का मरीज ना हो और वो भी इस रोग से सतर्क रहना चाहते हैं तो नाइट ब्लड सर्वे का लाभ ले सकते हैं।

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