सूबे के एसएनसीयू में एक साल में नवजात मृत्यु दर में दो प्रतिशत की आयी गिरावट

पटना:- राज्य में कार्यरत स्पेशल न्यू बार्न केयर (एसएनसीयू) यूनिट में नवजातों (जीरो से 28 दिन के नवजात) के मृत्यु दर में पिछले एक साल में दो प्रतिशत तक की कमी आई है। नवजातों के मृत्यु दर में यह कमी राज्य के एसएनसीयू में डिस्चार्ज रेट में बढ़ोतरी और दी जाने वाली सुविधाओं में बढ़ोतरी के कारण एक वर्ष में 5 से 3 पर आ गयी है। अभी मई माह तक राज्य में डिस्चार्ज रेट 83 प्रतिशत से बढ़कर 85 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 2024-25 के मई माह तक कुल 5 हजार 568 बच्चे एसएनसीयू में भर्ती हुए थे। अर्थात एसएनसीयू के निर्धारित बेड के 84 प्रतिशत बेड पर शिशु भर्ती रहे। डिस्चार्ज रेट को और बढ़ाने का लक्ष्य:-स्वास्थ्य विभाग की हाल में हुई एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में एसएनसीयू के कार्य को खूब सराहा गया एवं वहां वर्तमान के डिस्चार्ज रेट को 85 प्रतिशत से ज्यादा करने एवं एसएनसीयू के तहत रेफरल केस को 10 प्रतिशत से कम करने का निर्देश दिया गया। समीक्षा बैठक के दौरान एसएनसीयू में सांस की समस्या के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सी-पैप मशीन की उपलब्धता एवं उसकी क्रियाशीलता को सभी एसएनसीयू में अनिवार्य करने का भी निर्देश दिया गया है।        नवजातों के स्वास्थ्य की छत्रछाया है एसएनसीयू:-स्पेशल न्यू बार्न केयर (एसएनसीयू) यूनिट जिला अस्पताल इकाइयों में स्थित नवजातों के लिए विशेष अस्पताल होते हैं। अपनी स्थापना से ही एसएनसीयू राज्य में नवजातों के लिए असरदायक और फलदायक सिद्ध हो रही है। राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त एवं एसएनसीयू हाजीपुर में नर्सिंग मेंटर सुनीता कुमारी के अनुसार, नवजातों को स्वास्थ्य की छत्रछाया देने वाली यह अस्पताल इमरजेंसी सेवा से भी लैस होती है। 24 घंटे सेवा देने वाली इस स्वास्थ्य इकाई में विशेषज्ञ चिकित्सकों, नर्स और पारामेडिकल स्टॉफ की मौजूदगी होती है। यहां जीरो से 28 दिन तक के बच्चों का उपचार निशुल्क किया जाता है। मुख्यतः एसएनसीयू में कम वजनी बच्चे, सांस लेने में तकलीफ वाले बच्चे, जांडिस या इमरजेंसी केयर वाले बच्चों का समुचित उपचार किया जाता है।

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