जनसहभागिता सुनिश्चित कर एमडीए में शत प्रतिशत दवा सेवन संभव:-डॉ. परमेश्वर प्रसाद

पटना:-राज्य में एमडीए अभियान के पिछले चक्र में सफलतापूर्वक लोगों को दवा सेवन सुनिश्चित कराया गया। हमें अब 10 अगस्त से संचालित होने वाले एमडीए राउंड में 100% कवरेज करने की कार्ययोजना बनानी है।          इसके लिए दवा खाने से इंकार करने वाले लोगों को समझाकर दवा सेवन सुनिश्चित करना जरुरी है। अगर हम रिफ्युजल तोड़कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को दवा खिलाने में सफल रहे तो एमडीए कवरेज के 90 प्रतिशत के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा उक्त बातें अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, फ़ाइलेरिया डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने रिफ्युजल कन्वर्शन पर राज्य स्तरीय संवेदीकरण कार्यशाला में अपने संबोधन में कही.20 फीसदी लोगों ने विभिन्न कारणों से दवा सेवन से किया इंकार:-डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने बताया कि एमडीए के पिछले चक्र में करीब 20 प्रतिशत लोगों ने दवा खाने से इंकार किया था, जबकि 7 से 8 प्रतिशत ऐसे क्षेत्र थे जहाँ स्वास्थ्यकर्मी नहीं पहुँच पाए थे. उन्होंने कहा कि पिछले राउंड से सीख लेकर इस राउंड में सभी को स्वास्थ्य कर्मियों के सामने दवा खिलाना सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करनी होगी’. साथ ही दवा सेवन के बाद होने वाले संभावित प्रभावों की स्थिति में रैपिड रिस्पांस टीम को सक्रिय रखने की जरूरत पर अधिक बल देने की जरूरत है।          वही अंतर्विभागीय सामंजस्य स्थापित कर हमें रिफ्युजल को तोड़ने के प्रयास को तोड़ने की जरूरत है.रिफ्युजल के सभी बिन्दुओं पर की गयी चर्चा:-पीसीआई इंडिया की वरीय निदेशक, फ़ाइलेरिया राजश्री दास एवं एसोसिएट निदेशक रणपाल सिंह ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए प्रतिभागियों को रिफ्युजल के कारणों के बारे में चिंतन करें एवं उनके निवारण के बारे में विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि आंकड़ों के अनुसार एमडीए के पिछले चक्रों में 20 फीसदी लोग ऐसे थे जिन्होंने ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन टीम के सामने दवा सेवन नहीं किया था एवं 7 फीसदी लोगों ने दवा का सेवन नहीं किया था. उन्होंने रिफ्युजल के सभी बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए सभी की राय भी जानी. राजश्री दास ने बताया कि रिफ्युजल के प्रमुख कारणों में दवा सेवन का दुष्प्रभाव, दवा सेवन से जान का खतरा, सहयोग की कमी, फ़ाइलेरिया के खतरे के प्रति अनभिज्ञता, स्वास्थ्य की चिंता, उम्र को लेकर इंकार, दवा की गुणवत्ता पर अविश्वास एवं सरकारी दवाओं पर भरोसे की कमी जैसी चुनौतियाँ शामिल है.प्रखंडवार नीति बनाकर रिफ्युजल के कारणों को दूर करने की जरुरत:-अपने संबोधन में विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी कोऑर्डिनेटर डॉ. राजेश पांडेय ने कहा कि जिन प्रखंडों से रिफ्युजल के मामले ज्यादा आये हैं वहां के फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ नीति बनाने के लिए सभी जिला के अधिकारी एवं कर्मी प्रयास करें।          स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से डॉ. रविशंकर ने कहा कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक 90 प्रतिशत लोगों को दवा खिलाना अनिवार्य है. कार्यशाला में पिरामल स्वास्थ्य के विकास सिन्हा,जीएचएस से अनुज घोष एवं सिफार से रणजीत कुमार ने भी अपने विचार रखे. संवेदीकरण कार्यशाला का संचालन करते हुए पीसीआई इंडिया की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, फ़ाइलेरिया, डॉ. पंखुड़ी मिश्रा ने रिफ्युजल के कारणों एवं इसे दूर करने की रणनीति पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि रिफ्युजल कन्वर्शन एमडीए की सफलता में मील का पत्थर साबित होगा. इसके लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने की जरुरत है।          कार्यशाला में राज्य फ़ाइलेरिया सलाहकार, डॉ. अनुज सिंह रावत, पीसीआई के अमरेश कुमार, डीएमसी सहित 13 जिलों (पटना, नालंदा, बक्सर, भोजपुर, रोहतास, किशनगंज, मधेपुरा, दरभंगा, समस्तीपुर, नवादा, लखीसराय, मधुबनी एवं पुर्णिया) के जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी, भीडीसीओ, भीबीडी कंसलटेंट शामिल हुए।

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