एमडीए अभियान में उच्च जोखिम वाले प्रखंडों के लिए बनेगी विशेष रणनीति

सासाराम:- आगामी 10 अगस्त से फाइलेरिया उन्मूलन अभियान की शुरुआत होने जा रही है, जिसमें फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर लोगों के घर तक जाकर फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जाएगी। लेकिन उसके पहले रोहतास जिला स्वास्थ्य समिति फाइलेरिया प्रभावित लोगों की लाइन लिस्टिंग करके जिले में फाईलेरिया से पीड़ित मरीजों की आंकड़ा जुटाने में लगी हुई है। जिले के अति प्रभावित फाइलेरिया प्रखंड के लिए विशेष रणनीति बनाकर दवा खिलाने के लिए भी कवायद शुरू कर दी गई है। रोहतास जिले में अभी तक 2000 के आसपास हाथी पांव से पीड़ित मरीज पाए गए हैं। वहीं जिले में फाइलेरिया से प्रभावित लोगों की पहचान के लिए नाइट ब्लड सर्वे भी करवाया जा रहा है जिससे लोगों में फाइलेरिया परजीवी होने का पता लगाया जा सके। यह सर्वे जिले के सभी प्रखंडों में किया जा रहा है। जिले के चार प्रखंड अति प्रभावित:-रोहतास जिले को फाइलेरिया प्रभावित जिला भी माना गया है, जहां सबसे अधिक माइक्रो फाइलेरिया दर पाए जा रहे हैं। पिछले साल हुए नाइट ब्लड सर्वे के अनुसार रोहतास जिले के दिनारा प्रखंड में सबसे अधिक माइक्रो फाइलेरिया दर पाया गया था। पिछले साल के सर्वे रिपोर्ट के अनुसार दिनारा में निश्चित साइट से 2.7 माइक्रो फाइलेरिया दर पाया गया जबकि रेंडम साइट से 1.3। दूसरा सबसे प्रभावित प्रखंड में काराकाट रहा जहां निश्चित साइट से 1.7 प्रतिशत माइक्रो फाइलेरिया दर पाया गया। उसके बाद तिलौथू रहा जहां दोनो जगह 1.3 माइक्रो फाइलेरिया दर रहा। इसके बाद करगहर प्रखंड में क्रमश 1.3 और 1 प्रतिशत माइक्रो फाइलेरिया दर रहा।           दवा सेवन कराने के लिए बनेगी बेहतर रणनीति:-पिछले साल एमडीए अभियान के दौरान रोहतास जिले में दवा सेवन कराने का प्रतिशत काफी बेहतर देखने को मिला था। इसके पीछे जिला स्वास्थ्य समिति की बेहतर रणनीति और सहयोगी संस्थाओं का सहयोग बताया जाता है। जिले के प्रभारी सिविल सर्जन डॉक्टर अशोक कुमार ने बताया कि पिछले वर्ष जो रणनीति अपनाई गई थी उसी रणनीति के साथ इस बार भी दवा सेवन कराने का कार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पिछली बार रोहतास जिला ने दवा सेवन कराने में काफी बेहतर किया है इस बार और बेहतर करने का प्रयास किया जाएगा। उच्च जोखिम वाले प्रखंड पर रहेगी नजर:-डॉ अशोक कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष कई प्रखंडों में माइक्रो फाइलेरिया दर काफी अधिक देखने को मिला। इस बार नाइट ब्लड सर्वे के बाद आए रिपोर्ट के अनुसार उच्च जोखिम वाले प्रखंड पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले साल जो प्रखंड उच्च जोखीम पर रहा उस पर विशेष नजर रहेगी ही, इस बार भी यदि नए प्रखंड चिन्हित किए जाते हैं तो वहां पर भी दवा सेवन करने के लिए विशेष रणनीति बनाई जाएगी।

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