जमुई में पेड़ के पर्व के रूप में मनाया गया वन महोत्सव

जमुई:-जिला कलेक्टर राकेश कुमार ने सीबीएसई मान्यता प्राप्त प्रसिद्ध निजी शिक्षण संस्थान मणिद्वीप एकेडमी की मरकट्टा इकाई के परिसर में वन प्रमंडल जमुई के सौजन्य से आयोजित 75 वें वन महोत्सव का गाछ रोपकर शुभारंभ करते हुए कहा कि भारत में प्रति वर्ष वृक्ष रोपण और इसके संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए जुलाई माह में जंगल महोत्सव का आयोजन किया जाता है।          इस महोत्सव का अर्थ है वृक्षों का महाउत्सव यानी पेड़ों का त्योहार जो प्राकृतिक परिवेश तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता अभिव्यक्त करने वाला एक आंदोलन है। देशभर में वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से “वन महोत्सव” की शुरुआत 1950 में भारत के तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैया लाल माणिकलाल मुंशी द्वारा की गई थी। दरअसल वन न केवल जीव-जंतुओं की हजारों-लाखों प्रजातियों का प्राकृतिक आवास है बल्कि प्रकृति और मानव जीवन में संतुलन बनाए रखने में भी इनकी भूमिका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। मानव जीवन में वनों की महत्ता और पर्यावरण संरक्षण में वनों की भूमिका को लेकर आज व्यापक जन-जागरण अभियान की जरूरत है ताकि आमजन को आभास हो कि मानव जीवन के लिए वन किस प्रकार लाभदायक हैं।         विडंबना है कि इस समय पूरी दुनिया में धरती पर केवल तीस फीसद हिस्से में वन शेष बचे हैं और उनमें से भी प्रतिवर्ष इंग्लैंड के आकार के बराबर जंगल नष्ट हो रहे हैं। वनों की कटाई से पर्यावरण पर भयानक दुष्प्रभाव पड़ रहा है वहीं वन्यजीवों के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पर्यावरण वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इसी प्रकार वनों की कटाई जारी रही तो अगले सौ वर्षों बाद दुनिया भर में “रेन फारेस्ट” पूरी तरह खत्म हो जाएंगे।             उन्होंने वन महोत्सव की शुभकामना देते हुए हर नागरिकों से खाली भूखंड पर गाछ रोपने की अपील की। पुलिस अधीक्षक डॉ. शौर्य सुमन ने कहा कि भारत का कुल क्षेत्रफल करीब बत्तीस लाख वर्ग किलोमीटर है। वन क्षेत्र के मामले में यह देश दुनिया में दसवें स्थान पर है। सघन वनों का दायरा सिमटने के चलते ही वन्य जीव शहरों-कस्बों का रुख करने पर विवश होने लगे हैं। इसी के चलते जंगली जानवरों की इंसानों के साथ मुठभेड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं। भारत में स्थिति बदतर इसलिए है क्योंकि एक तरफ जहां वृक्षों की अवैध कटाई का सिलसिला बड़े पैमाने पर जारी है वहीं वृक्षारोपण के मामले में उदासीनता और लापरवाही बरती जाती रही है। वायु प्रदूषण हो या जल प्रदूषण अथवा भू-क्षरण, इन समस्याओं से निजात पाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ रोपना होगा। वन प्रमंडल पदाधिकारी तेजस जायसवाल ने कहा कि स्वच्छ प्राणवायु के अभाव में लोग तरह-तरह की भयानक बीमारियों के जाल में फंस रहे हैं।           जीव-जंतु की प्रजनन क्षमता पर इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। उनकी कार्यक्षमता भी प्रभावित हो रही है। मौसम चक्र तेजी से बदल रहा है। जलवायु संकट गहरा रहा है। ऐसे में पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने का एक ही उपाय है , वृक्षों की सघनता यानी वन क्षेत्र में बढ़ोतरी। उन्होंने भी हर इंसान को खाली जमीन पर गाछ रोपने का संदेश दिया। श्री जायसवाल ने इस साल जमुई जिला में छः लाख पौधे रोपे जाने का ऐलान किया। विद्यालय के निदेशक डॉ. बी. अभिषेक ने आगत अभ्यागतों को पुष्प गुच्छ और स्मृति चिन्ह देकर उनका अभिनंदन किया और समारोह में शिरकत करने के लिए उनके प्रति आभार जताया।           प्रशिक्षु वन प्रमंडल पदाधिकारी शिखर प्रधान, वनों के क्षेत्र पदाधिकारी रवि कुमार, वन कर्मी दिनेश कुमार सिंह, मुखिया संतोष कुमार यादव आदि गणमान्य लोग वन महोत्सव के हिस्सा बने और इसे गरिमा प्रदान किया। राज्य उद्घोषक डॉ. निरंजन कुमार ने किताबी ढंग से कार्यक्रम का मंच संचालन किया और खूब वाहवाही लूटी। प्राचार्य निभा रानी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उधर पाठशाला की पुत्रियों ने स्वागत गान गाकर मेहमानों का सम्मान किया।          स्कूल के कलाकारों ने वृक्ष बचाओ से संबंधित संगीतमय नाटक प्रस्तुत कर उपस्थित जनों का मन मोह लिया। इसी दरम्यान मेहमानों ने क्विज और पोस्टर प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम के दरम्यान आगत अतिथियों ने पाठशाला परिसर में पौधारोपण किया और पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी जनों को गाछ रोपने की सलाह दी।           इस अवसर पर वन विभाग के अधिकांश पदाधिकारी और कर्मी के साथ मणिद्वीप एकेडमी के परिवार उपस्थित थे।

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