भगवान शिव को शिष्य भाव अर्पित करने से लोगों की सभी मनोरथ पूर्ण हो रहा है:-भाई परमेश्वर

सहरसा:-भगवान शिव की शिष्यता,एवं शिव कार्य विस्तार हेतु मंगलवार को अंधरी में भगवान शिव के शिष्यों की एक बैठक देर शाम तक सम्पन्न हुआ। जिसमें शिव शिष्य भाई परमेश्वर ने कहा कि भगवान शिव को शिष्य भाव अर्पित करने से लोगों की सभी मनोरथ पूर्ण हो रहा है।उन्होंने कहा कि बर्ष 1984 से साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी ने लोगों को यह कहना प्रारंभ किया कि शिव मेरे गुरु है।आपके भी हो सकते हैं।तब से आज तक लोगों ने भगवान शिव को गुरु मानकर उन्हें शिष्य भाव देना प्रारंभ किया। उन्होंने कहा कि भगवान शिव गुरु है ही महत्व है कि शिव का शिष्य होकर शिष्य भाव की स्थिति में खड़ा रहना।उन्होंने कहा कि भगवान शिव गुरु के रुप में सतयुग,त्रेता,द्वापर और वर्तमान कलयुग में भी गुरु कार्य करते अपने शिष्यों के ऊपर दया करते रहे हैं।            उन्होंने कहा कि साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी के द्वारा दिए गये प्रथम सुत्र कि हे शिव आप मेरे गुरु है।इस मेरे शब्द की गहराई में प्रवेश कर आप भी अपने जीवन में भगवान शिव की शिष्यता से प्राप्त अनुभुति को अनुभव को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी के द्वारा दिए गए संवाद पर आज देश के लगभग 6 करोड़ लोगों ने जबसे भगवान शिव को गुरु माना है तब से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला, छुआछुत खत्म हुई और आध्यात्मिक चेतना का जागरण हुआ।उन्होंने कहा कि भगवान शिव की शिष्यता और इस भाव की मजबूती के लिए 3 सुत्र का शिष्य भाव में करते रहना बुरे कर्मफल का छय करता है।मौके पर शशि यादव, मुकेश मुखिया, अनिल जी, ब्रम्हदेव जी, जयप्रकाश यादव, कपिलेश्वर राय, बहन पुष्पा, सुशीला, नीलम, पुनीता, तेतरी आदि उपस्थित थी।

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