पहचान, समीक्षा और कार्रवाई से मैटरनल डेथ पर लगेगी लगाम

पटना:- राज्य में मैटरनल डेथ में सुधार और सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए जोर लगाया जा रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग मैटरनल डेथ की पहचान कर उसकी समीक्षा करेगी। समीक्षा में कारणों का पता लगा कर उस पर कार्रवाई की जायेगी। राज्य स्वास्थ्य समिति में मातृ स्वास्थ्य की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (एसपीओ) डॉ सरिता द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में ये तथ्य उभर कर आये हैं। इस रिपोर्ट में मैटरनल डेथ की गंभीरता को भी प्रदर्शित किया गया है। रिपोर्ट में एसपीओ डॉ सरिता ने बताया है कि मैटरनल डेथ के कारणों का पता लगाने के लिए मैटरनल डेथ सर्विलांस बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें मैटरनल डेथ के वास्तविक आंकड़ों के साथ डेथ के कारणों का पता चलता है। इससे उस स्तर पर सुधारात्मक कार्रवाई की जा सकेगी। मालूम हो कि जब किसी महिला का गर्भावस्था व प्रसव के उपरांत 42 दिनों के अंदर बिना किसी आकस्मिक कारण के गर्भावस्था या उसके प्रबंधन या उससे बढ़ी वजहों से निधन हो जाता है तो उसे मैटरनल डेथ माना जाता है। राज्य में प्रति लाख 118 मैटरनल डेथ के मामले:-मैटरनल डेथ के मामले में बिहार राष्ट्रीय औसत से 48 प्वाइंट पीछे है। एसआरएस 2018-20 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में प्रति लाख जीवित जन्म में 118 मैटरनल डेथ के मामले हैं। जबकि सतत विकास के लक्ष्य के मुताबिक, यह आंकड़ा 70 होना चाहिए। राज्य को इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रतिवर्ष 7 प्वाइंट की गिरावट की जरूरत है। डॉ. सरिता ने रिपोर्ट में कहा है कि वित्तीय वर्ष 2024—25 में सितंबर तक राज्य में कुल 495 मैटरनल डेथ के मामले दर्ज हुए हैं। इसमें से 137 मैटरनल डेथ राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में हुए है।                                 मैटरनल डेथ की रिपोर्टिंग में बांका, सुपौल और पटना इस वर्ष अभी तक सबसे अव्वल हैं। तीन स्तरों पर मैटरनल डेथ की होगी पहचान:-मैटरनल डेथ की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तीन स्तरों का चयन किया है। इसमें पहला समुदाय, दूसरा एंबुलेंस और तीसरे स्तर के रूप में हॉस्पिटल या फैसिलिटी शामिल है। समुदाय के स्तर पर आशा, जनप्रतिनिधि, सीएचओ या लिंक हेल्थ वर्कर मैटरनल डेथ की जानकारी व कारण बताएँगे। वहीं एम्बुलेंस के स्तर पर एम्बुलेंस टेक्नीशियन या उसमें मौजूद कर्मी और फैसिलिटी या हॉस्पिटल के स्तर पर वहां के मेडिकल ऑफिसर को यह जिम्मेवारी दी गयी है। इस वर्ष 27 प्रतिशत मैटरनल डेथ के मामलों में गंभीर उच्च रक्तचाप/दौरे और उच्च रक्तचाप, प्रसव पूर्व विकार के मामले चिन्हित किये गये हैं। जिलों को देनी होगी दैनिक रिपोर्टिंग:-इस रिपोर्ट के अनुसार, मैटरनल डेथ की स्थिति पर काबू पाने के लिए नियमित आधार पर राज्य स्तरीय मासिक समीक्षा बैठक शुरू की जा रही है। इसके अलावा 104 कॉल सेंटर के सहयोग से व आशा के माध्यम से सभी जिलों में मैटरनल डेथ की दैनिक रिपोर्टिंग को सघन किया जा रहा है। सुमन कार्यक्रम के तहत मैटरनल डेथ की प्रथम जानकारी देने वाले को 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि पहले से ही दी जा रही है। इसके अतिरिक्त जिला स्तरीय वर्कशॉप व ओरिएंटेशन प्रोग्राम भी किए जा रहे हैं।

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