एचडब्ल्यूसी पर नि:शुल्क एएनसी जांच से मिली काफी सहूलियत:-प्रमिला

बक्सर:-लगभग नौ साल पहले जब मैं पहली बार गर्भवती हुई थी, तब उस समय गांव में कोई भी सरकारी स्वास्थ्य संस्थान नहीं था। जिसके कारण मेरी जैसी सभी महिलाओं को प्रसव पूर्व जांच के लिए सदर अस्पताल जाना पड़ता था। इसके लिए हमें ऑटो रिजर्व करना पड़ता था। कई बार सदर अस्पताल जाने के दौरान रास्ते में पड़ने वाले रेलवे फाटक पर आने जाने के क्रम में घंटों जाम से जूझना पड़ता था। जिससे न केवल आर्थिक दोहन होता था, बल्कि समय बर्बाद होने के साथ शारीरिक कष्ट भी झेलना पड़ता था। ये बातें सदर प्रखंड स्थित पांडेयपट्‌टी निवासी गुड्‌डू लाठौर की पत्नी प्रमिला देवी ने बतायी। उन्होंने बताया कि जब पिछले साल उन्हें पता चला कि वो पेट से हैं तो आशा कार्यकर्ता ने उन्हें गांव में स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर ही गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच के संबंध में जानकारी दी। जो पूरी तरह से नि:शुल्क है। साथ ही, यहां पर दवाओं के साथ साथ उचित परामर्श भी दिया जाता है। जिसके बाद उन्होंने पांडेय पट्टी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में प्रसव पूर्व जांच कराने की ठानी। एचडब्ल्यूसी पर हुई नि:शुल्क और बेहतर जांच:-प्रमिला देवी ने बताया कि एचडब्ल्यूसी पर जाने के दौरान सुविधाओं को लेकर कई बातें दिमाग में चल रही थी। लेकिन, जब वो शिविर में पहुंची तब वो आश्वस्त हुई कि उन्हें यहां जांच कराने में कोई परेशानी नहीं होगी। उन्होंने बताया, “एचडब्ल्यूसी पर कार्यरत सीएचओ दीदी ने उनकी सभी जांच की।                             जिसके बाद उन्होंने मशीन लगाया और बताया कि मेरे बच्चे की धड़कन ठीक से काम कर रही थी। सीएचओ दीदी ने बताया कि मेरा बच्चा स्वस्थ है। जिसके बाद उन्होंने मुझे फिर आने को बोला। दो माह बाद जब मैं दोबारा जांच के लिए पहुंची, तब उन्होंने कई जांच की। जिसमें पता चला कि मैं एनीमिया से ग्रसित होने के साथ हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के दायरे में हूं। जिसके बाद मेरे साथ मेरे परिजनों को भी चिंता होने लगी। लेकिन सीएचओ दीदी ने हिम्मत देते हुए मुझे दवाइयां उपलब्ध कराई। जब मैं जाने की स्थिति में नहीं रहती, तब आशा दीदी मेरे घर आकर दवाएं दे जाती थी।” हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के कारण निरंतर की गई मेरी निगरानी:-प्रमिला देवी ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान उन्होंने तीन बार एचडब्ल्यूसी पर जांच कराया। इस दौरान हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के कारण उनकी निरंतर निगरानी की गई। आशा दीदी नियमित घर आकर मेरी शरीरिक स्थिति का मुआयना करती। एक दिन मुझे काफी पीड़ा होने लगी, जिसके बाद वो आशा दीदी के माध्यम से एचडब्ल्यूसी पहुंची। जहां सीएचओ दीदी ने टेली कंसल्टेंसी के माध्यम से वरीय चिकित्सक से मेरा परीक्षण कराया। जिसके बाद चिकित्सकों ने उन्हें सदर अस्पताल रेफर करने की सलाह दी। जिसके बाद सीएचओ और आशा दीदी की मदद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां जांच में पता कि उनका बच्चा उल्टा है। जिसके कारण ये परेशानियां उत्पन्न हुई थी। उसके बाद सदर अस्पताल में सिजेरियन से उनका सफल प्रसव कराया गया। अब मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। ग्रामीण इलाकों के लिए एचडब्ल्यूसी है वरदान:-प्रमिला के पति गुड्‌डू लाठौर ने बताया कि वो एक दिहाड़ी मजदूर हैं। प्रतिदिन मेहनत मजदूरी कर कमाना और उससे घर का चुल्हा जलाना ही उनकी दिनचर्चा रहती है। जिसके कारण उनके पास निजी अस्पतालों में जांच और इलाज के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में गांव में हेल्थ एंड वेलनेस खुलने के साथ वहां पर गर्भवतियों की नि:शुल्क जांच होने व दवाइयों के मिलने से उनकी जेब पर आर्थिक दबाव कम पड़ता है। जो उनके जैसी मजदूरी करने वाले लोगों की बड़ी बात हाेती है। उन्होंने सरकार का धन्यवाद दिया कि आज उनकी योजनाओं की बदौलत ग्रामीण इलाकों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सुविधा उपलब्ध हो सकी। जिससे गरीब और जरूरतमंद लोगों को गांव में ही इलाज उपलब्ध हो रहा है।

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