अगर सूचना सच हुई तो आलोक राज होंगे बिहार के अगले पुलिस मुखिया

समय से पहले बिहार डीजीपी पद से हटना चाह रहे हैं आरएस भट्टी, केंद्र में मांगी जिम्मेदारी
डेस्क:-भारतीय पुलिस सेवा के 1990 बैच के कर्मठ अधिकारी आरएस भट्टी बिहार में डीजीपी के पद पर सेवा दे रहे हैं। अब वे यहां से जाना चाहते हैं। अंतःपुर के नारद मुनि के मुताबिक इस बात के लिए आरएस भट्टी को बिहार सरकार ने अनुमति दे दी है, लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा हरी झंडी का उन्हें अब भी इंतजार है। यही वजह है कि आरएस भट्टी बिहार में डीजीपी पद पर काबिज हैं। उधर श्री भट्टी के केंद्र में सेवा देने की चाहत ने इस चर्चा को सुलगा दिया है कि उनकी जगह बिहार का डीजीपी कौन होगा ? बिहार सरकार ने दिसंबर 2022 में शोभा अहोतकर और आलोक राज की जगह आरएस भट्टी को राज्य का डीजीपी चुना था। वे कड़क अधिकारी के तौर पर जाने जाते रहे हैं। इसलिए एस. के. सिंघल के रिटायरमेंट के बाद नीतीश कुमार की सरकार ने उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त माना और केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाकर डीजीपी की अहम जिम्मेदारी सौंपी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक किसी भी डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल का होना चाहिए।आरएस भट्टी का रिटायरमेंट टाइम सितंबर 2025 है। वे टफ टास्क के लिए जाने जाते रहे हैं। डीजीपी बनते ही आरएस भट्टी ने पुलिस की मीटिंग में कहा था कि अपराधियों को दौड़ाना सीखिए नहीं तो अपराधी आपको दौड़ा कर परेशान करते रहेंगे। उनकी यह बात काफी चर्चित हुई थी। लेकिन उनके नाम के अनुरूप बिहार में अपराध पर लगाम नहीं लग सका। जाहिर है आरजेडी हो या बीजेपी दोनों ने विपक्ष में रहकर बिहार में खराब हो रही कानून व्यवस्था को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया है। इस करतूत के बाद कयास लगाया जा रहा है कि आरएस भट्टी राजनीतिक वजहों से बिहार छोड़ने का मन बना चुके हैं। जानकारी के मुताबिक आरएस भट्टी सितंबर 2025 तक डीजीपी बने रह सकते हैं। लेकिन समय से पहले वे केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए अर्जी डाल चुके हैं। आरएस भट्टी वापस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना चाह रहे हैं। बिहार में डीजीपी पद पर काबिज होने से पहले वो बीएसएफ में एडीजी पद पर तैनात थे। 1990 बैच के आरएस भट्टी को केंद्र से हरी झंडी का इंतजार है।           आरएस भट्टी साल 2005 में शहाबुद्दीन को दिल्ली से गिरफ्तार कर वापस लाने के बाद काफी चर्चा में आए थे। अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह पर शिकंजा कसने के बाद उन्हें खूब ख्याति मिली थी। लेकिन डीजीपी के तौर बिहार में वे कुछ खास नहीं कर पाए। आरजेडी आए दिन राज्य में अपराध की घटनाओं का विवरण पेश कर नीतीश सरकार पर मंगलराज कायम रखने के लिए कटाक्ष करने का कोई मौका गंवाती नहीं है। जाहिर है पूर्णिया में दिन में ज्वेलरी शॉप में डकैती का मामला हो या फिर मुकेश साहनी के पिता की हत्या, इन मामलों के बाद पुलिसिंग को लेकर आरजेडी रोज सवाल खड़े कर रही है। बिहार में अपराध पर नियंत्रण फिर से बड़ा सवाल बन गया है, जिसका तोड़ पुलिस के पास नहीं दिख रहा है। आंकड़ों के हवाले से पुलिस बेहतर पुलिसिंग का दावा पिछले दिनों कर चुकी है, लेकिन आरजेडी अब इसे मुद्दा बनाकर जनता के बीच जाने की योजना बना रही है। जानकारी के मुताबिक 15 अगस्त के बाद तेजस्वी यादव पदयात्रा पर निकलने वाले हैं, जिसमें वे हर जिले में जाकर बिहार सरकार की पोल खोलने की योजना बना रहे हैं। जाहिर है अपराध की कई घटनाओं का जिक्र कर आरजेडी अपने ऊपर लगे जंगल राज के तमगे को धोना चाहेगी और नीतीश सरकार में ज्यादा अपराध है इसको साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। अंदरखाने की कानाफूसी से पता चला है कि इन्हीं टीका-टिपण्णी की वजह से श्री भट्टी डीजीपी का पद छोड़ कर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना चाहते हैं। इधर गुप्तखाने से निकली सूचना अगर सच साबित हुई तो भारतीय पुलिस सेवा के 1989 बैच के सबसे वरिष्ठ, कड़ियल और अखड़ियल पदाधिकारी आलोक राज बिहार के नए डीजीपी बन सकते हैं। वे सौम्यता और तटस्थता के पर्याय हैं। स्वच्छ छवि उनका श्रृंगार है। पुलिस विभाग में हर तरह की जिम्मेवारी निभाने का खास अनुभव रखते हैं। वे शास्त्रीय संगीत के साधक और मर्मज्ञ के रूप में भी जाने जाते हैं। चर्चाकारों का मानना है कि संगीत तो हर इंसान की न जिंदगी में पिरोया हुआ है। इससे आलोक राज भी अछूते नहीं हैं। जानकारी के मुताबिक उन्हें स्कूल-कॉलेज के समय फिल्मी गानों का बहुत शौक था। वे जब 1989 में भारतीय पुलिस सेवा में आए, तब इससे खुद को किनारा कर लिया। सेवारत रहने के दरम्यान एक बार फिर से उनमें संगीत के प्रति स्नेह जागा। वे 2011 में हिंदुस्तान शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा लेने लगे।चर्चाकार कहते हैं कि आलोक राज संगीत को सुहाना और मधुर सफर मानते हैं। छः साल रियाज के बाद 2017 में उनका पहला अलबम “साईं रचना” धरा पर अवतरित हुआ। इस अलबम ने उन्हें अकल्पनीय ख्याति दिलाई। संगीत की दुनिया में बादशाहत हासिल करने वाले आलोक राज की गिनती पुलिस पदाधिकारी के रूप में भी अग्रिम पंक्ति में की जाती है। अगर यह खबर चरितार्थ हुआ तब इसमें कोई दो मत नहीं कि आलोक राज के कुशल नेतृत्व में बिहार कानून के राज के मामले में नई कहानी गढ़ेगा।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
अब पायें अपने शहर के सभी सर्विस प्रवाइडर के नंबर की जानकारी एक क्लिक पर


               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Mytesta.com