सियासी संग्राम के बीच बिहार में प्रशासनिक बदलाव की आहट

जमुई:-बिहार में 2025 में सियासी संग्राम तय है। चुनावी आहट के बीच राज्य सरकार प्रशासनिक नट-बोल्ट को दुरुस्त करने के लिए माथापेची शुरू कर दिया है। चुनावी हलचल को देखते हुए अंतःपुर से एक अहम खबर निकल कर सामने आई है जो कई मायने में महत्वपूर्ण है। जी हां, विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक बदलाव की संभावना है। अंदरखाने से बाहर निकल कर नारद मुनि ने बताया कि इस माह के अंत तक प्रशासनिक अदला-बदली तय है। फेरबदल की सुगबुहाट के बीच पटना, मुजफ्फरपुर और गया के एसएसपी बदले जा सकते हैं। शिवहर, मधुबनी, कटिहार, लखीसराय, सुपौल, बक्सर, बांका, अरवल समेत कई जिलों के पुलिस कप्तान बदलाव के घेरे में हैं। भारतीय पुलिस सेवा के करीब दो दर्जन उच्च पदस्थ अधिकारियों की कुंडली खंगालने का काम जारी है। बड़े पद धारकों से राय शुमारी की जा रही है। बेहतर विकल्प के लिए काबिल नाम पर विचार किया जा रहा है।                                        पुलिस पदाधिकारियों के फेरबदल में कार्यशैली, उपलब्धि, रैंकिंग, स्वच्छ छवि, आरोप, कार्यकाल आदि को तबज्जो दिया जा रहा है। नारद मुनि बताते हैं कि काम करिंदे अधिकारी को फील्ड में तैनात किया जाएगा और शिथिल ऑफिसर को मुख्यालय में जगह दी जाएगी। उन्होंने इस माह के अंत तक प्रशासनिक बदलाव किए जाने का संकेत देते हुए कहा कि अदला-बदली पर थिंक टैंक गंभीरतापूर्वक मंथन कर रहा है। भारतीय पुलिस सेवा के अलावे भारतीय प्रशासनिक सेवा, बिहार प्रशासनिक सेवा और बिहार पुलिस सेवा के ओहदेदारों को भी बदलने की चर्चा हवा में तैर रही है। नारद मुनि सचिवालय पर नजर गड़ाए हुए हैं। उधर प्रशासनिक बदलाव की आहट सुनाई देने के बाद राज्य के ओहदेदारों के कान खड़े हो गए हैं। साइड लाइन वाले अधिकारी जहां फील्ड में जाने के लिए उताहुल नजर आने लगे हैं वहीं फील्ड वाले साहब अपनी कुर्सी सुरक्षित करने की जुगाड़ में जुट गए हैं। संबंधित हुजूर अपने-अपने खास आकाओं से आवेदन अग्रसारित कराने के लिए पटना की दौड़ भी लगाने लगे हैं। देखन वाली बात होगी कि किन्हें फील्ड की कमान मिलती है और कौन मुख्यालय में कामकाज संभालते हैं? जानकार बताते हैं कि प्रशासनिक बदलाव की तैयारी जोर-शोर से जारी है।

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