भारत बंद का वैश्य समाज ने दिया अपना नैतिक समर्थन

सहरसा:-अनुसूचित जाति व जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर भारत बंद का वैश्य समाज ने अपना नैतिक समर्थन दिया है। वैश्य समाज के जिला अध्यक्ष रामकृष्ण साह उर्फ मोहन साह ने कहा कि एससी, एसटी आरक्षण के वर्गीकरण के खिलाफ एवं आरक्षण को संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को समर्थन करते हुए कहा कि इस फैसले को खारिज किया जाए, क्योंकि यह अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकारों के लिए खतरा है। एससी, एसटी एवं ओबीसी के लिए आरक्षण पर संसद द्वारा एक नये कानून को पारित करने की भी मांग की। जिसे संविधान की नौवीं सूची में समावेश के साथ संरक्षित किया जाए। वैश्य समाज के जिलाध्यक्ष ने कहा कि आरक्षण में वर्गीकरण की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।          उन्होने कहा कि आरक्षण की रक्षा के लिए जन-आंदोलन एक सकारात्मक प्रयास है। शोषित-वंचित के बीच चेतना का नया संचार करेगा एवं आरक्षण से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ के खिलाफ जन शक्ति का एक कवच साबित होगा। शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतांत्रिक अधिकार होता है। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जी ने पहले ही आगाह किया था कि संविधान तभी कारगर साबित होगा जब उसको लागू करनेवालों की मंशा सही होगी। सत्तासीन सरकारें ही जब धोखाधड़ी, घपलों-घोटालों से संविधान एवं संविधान द्वारा दिये गये अधिकारों के साथ खिलवाड़ करेंगी तो जनता को सड़कों पर उतरना ही होगा। जन-आंदोलन बेलगाम सरकार पर लगाम लगाती हैं। जिलाध्यक्ष ने कहा कि आरक्षण विरोधी षड्यंत्र एवं इसे निष्प्रभावी बनाकर अंततः खत्म करने की मिलीभगत के कारण एक अगस्त 2024 को एससी-एसटी के उपवर्गीकरण में क्रीमी लेयर से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ समुदायों में भारी रोष व आक्रोश है।

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