स्वस्थ समाज के निर्माण में गर्भनिरोधक की अहम भूमिका

पटना:-गर्भनिरोधक न केवल परिवार नियोजन का एक महत्वपूर्ण उपकरण है, बल्कि यह एक स्वस्थ और संतुलित समाज की नींव रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। गर्भनिरोधक का इस्तेमाल महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर करने के साथ उन्हें अपने जीवन में प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित भी करना है। एक स्वस्थ समाज की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि हर व्यक्ति को गर्भ निरोधक की उपलब्धता और उसके लाभों की जानकारी हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, सही और समय पर गर्भनिरोधक उपायों का उपयोग न केवल अनचाहे गर्भधारण को रोकता है, बल्कि महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार भी करता है। यह मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी सहायक होता है। गर्भ निरोधक के इस्तेमाल से मातृ मृत्यु दर में लायी जा सकती है कमी:-राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के अनुसार, बिहार में केवल 24% महिलाएं ही आधुनिक गर्भनिरोधक उपायों का उपयोग करती हैं, जो राष्ट्रीय औसत (54%) से काफी कम है। गुट्टमाकर इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, गर्भनिरोधक उपायों के नियमित उपयोग से मातृ मृत्यु दर 30% तक कम हो सकती है। परिवार नियोजन का प्रभाव:-संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के मुताबिक, परिवार नियोजन के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा मिलता है। सही समय पर परिवार की योजना बनाने से परिवार के सदस्यों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और शिक्षा मिल सकती हैं। पटना एम्स में एडिशनल प्रोफेसर डॉ इंदिरा प्रसाद ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में परिवार नियोजन बहुत ही महत्वपूर्ण है। समाज में समय पूर्व विवाह या किशोरावस्था में ही महिलाओं में प्रजनन के घातक परिणाम हो सकते हैं। इसका असर माता एवं शिशु दोनों पर ही पड़ता है। सरकार की ओर से भी परिवार नियोजन के लिए स्थायी और अस्थायी साधनों की व्यवस्था है जिसके इस्तेमाल से परिवार को सीमित या दो बच्चों के जन्म में अंतर रख सकते हैं। यह सभी गर्भनिरोधक सुरक्षित भी है। इस संबंध में पटना की गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करने वाली पटना की सुषमा कुमारी कहती हैं, “गर्भनिरोधक के उपयोग ने हमारे परिवार को न केवल स्वस्थ रखा है, बल्कि हमें आर्थिक रूप से भी स्थिर किया है।            पहले हमें इस बारे में जानकारी नहीं थी, लेकिन अब हमें समझ में आता है कि यह हमारे लिए कितना फायदेमंद है।” अमर कुमार, एक ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक, कहते हैं, “गर्भ निरोधक के बारे में जानकारी न होने के कारण कई परिवार अनियोजित गर्भधारण का सामना करते हैं, जिससे उनके आर्थिक और सामाजिक जीवन पर असर पड़ता है। सरकार को इस पर और जागरूकता फैलानी चाहिए।” परिवार नियोजन के पांच संकेतकों पर फोकस: राज्य सरकार और विभिन्न सहयोगी संस्था इस दिशा में लगातार प्रयासरत हैं। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में गर्भनिरोधक उपायों के प्रचार-प्रसार पर विशेष बल दिया है। जिन पांच संकेतकों को इसने फोकस किया है उसमें गर्भनिरोधक प्रचलन दर, हाई अनमेट नीड, समय पूर्व शादी, किशोरी प्रजनन एवं कुल प्रजनन दर शामिल हैं। इसका उद्देश्य लोगों को सही जानकारी और साधनों तक पहुंचाना है। इसके साथ ही, जागरूकता अभियानों के माध्यम से गर्भनिरोधक के बारे में भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। गर्भ निरोधक का सही और सटीक उपयोग न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि समाज को भी स्वस्थ और संपन्न बनाने में मदद करता है। इसके लिए सरकार, समाज और परिवारों का एकजुट प्रयास आवश्यक है। इस दिशा में एक सकारात्मक बदलाव लाने के लिए हमें अपने विचारों और रवैये को बदलने की आवश्यकता है।

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