जिला स्तरीय खरीफ कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

सहरसा:- जिला स्तरीय खरीफ कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम 2025 का आयोजन प्रेक्षागृह सहरसा में किया गया। वैभव चौधरी, जिला पदाधिकारी, सहरसा, डॉ.आशीष कुमार श्रीवास्तव, उप निदेशक (शष्य), प्रक्षेत्र, बिहार, पटना, संजय कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी-सह-परियोजना निदेशक, आत्मा सहरसा, डॉ रेयाज अहमद, प्रोफेसर, मंडन भारती, कृषि महाविद्यालय, अगवानपुर, डॉ अरविन्द कुमार सिन्हा, वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान, कृषि विज्ञान केन्द्र, अगवानपुर, मो. नदीम अख्तर, डॉ. सुभाषीष प्रहिराज, कनीय वैज्ञानिक, मंडन भारती कृषि महाविद्यालय, अगवानपुर, सहरसा, डॉ. मनोज सिंह, परामर्शी, जिला कृषि कार्यालय, सहरसा, जिला मत्स्य पदाधिकारी, जिला वन पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक, सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण, नवीन कुमार नवनीत, सहायक निदेशक, कृषि अभियंत्रण, ब्रहमदेव प्रसाद सिंह, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी सदर, आनन्द चौधरी, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी सिमरी बख्तियारपुर, कुमार ऋषि रंजन, सहायक निदेशक, प्रक्षेत्र, सहरसा, सहायक निदेशक, रसायन एवं राजेश कुमार, उप परियोजना निदेशक, आत्मा, सहरसा, द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया गया।          जिला कृषि पदाधिकारी, सहरसा द्वारा खरीफ मौसम में चलाई जा रही विभिन्न योजना यथा-मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना एवं अनुदानित दर पर बीज वितरण की जानकारी दी गई। इनके द्वारा बताया गया कि मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना अंतर्गत एक राजस्व ग्राम से धान बीज हेतु अधिकतम 2 किसानों को प्रति किसान 6 कि.ग्रा. आधार बीज आधा एकड़ हेतु 90 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है। अनुदानित दर पर 10 वर्ष से कम आयु के प्रभेदों का बीज एक किसान को 5 एकड़ हेतु अधिकतम 60 कि.ग्रा. बीज 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इनके द्वारा सभी संबंधित कृषि कर्मी को बताया गया कि पंचायतवार धान बीज वितरण हेतु लक्ष्य आवंटित किया गया, जिस आलोक में बीआरबीएन अधिकृत बीज विक्रेता द्वारा सभी प्रखंडों में वितरण हेतु धान बीज है। सभी कृषि कर्मियों से आह्वान किया गया कि कृषि कार्य समयबद्ध होता है। समय पर किसानों को बीज उपलब्ध कराने से फसल उत्पादकता भी बढ़ती है। सभी कर्मी को निदेष दिया गया कि अधिकाधिक प्रचार-प्रसार कर ऑनलाईन आवेदन हेतु वेबसाईट पर जाकर किसान पंजीयन नम्बर आधारित आवेदन किया जा सकता है। इनके द्वारा यह भी बताया गया कि एक किसान किसी एक ही योजना में बीज के लिए आवेदन कर सकते हैं। डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव, उप निदेशक (शष्य), प्रक्षेत्र, बिहार, पटना द्वारा बताया गया कि मुख्य योजना मिलेट्स एवं मक्का के क्षेत्र में वृद्धि करना है साथ ही धान की उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने हेतु समय से बुआई, सिंचाई, जीरोटिलेज एवं सीड ड्रिल के उपयोग का व्यापक प्रचार-प्रसार, जैविक खेती एवं जलवायु अनुकूल कृषि एवं विभागीय अन्य योजनाओं की संक्षिप्त जानकारी दी गई। इनके द्वारा सभी कर्मियों का आह्वान किया गया कि अपने-अपने क्षेत्र में जाकर व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए अधिकाधिक नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराएँ ताकि सभी किसान तकनीकी ज्ञान से कम व्यय में अधिक गुणवत्तापूर्ण उत्पादन कर अपने सामाजिक एवं आर्थिक जीवनशेली में अपेक्षित सुधार ला सकें।           इनके द्वारा बताया गया कि किसानों को इस कार्यक्रम के माध्यम से धान्य फसलों, सब्जी उत्पादन, फल उत्पादन, मधुमक्खी पालन, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती से संबंधित कठिनाईयों का निराकरण प्रखंड स्तरीय प्रशिक्षण-सह-उपादान कार्यक्रम जो दिनांक 26.05.2025 से 01.06.2025 के मध्य विभिन्न प्रखंडों में आयोजित किया जाएगा, में वैज्ञानिकां तथा कृषि एवं संबद्ध विभागों के प्रसार पदाधिकारियों द्वारा किया जाएगा। जिला पदाधिकारी, सहरसा द्वारा सभी कर्मियों का आह्वान किया गया कि सहरसा जिला कृषि प्रधान जिला है। हमारा मुख्य उद्देश्य कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना को धरातल पर पहुँचाना है। कृषि का अर्थ केवल खाद्य के लिए उत्पादन करना ही नहीं अपितु संबंधित क्षेत्र में व्यवसाय एवं विपणन के लिए भी कार्य करना है जिसके महत्वपूर्ण अवयव आप सब हैं। आज के दिन में विकास कितना भी कर लें पर खेती हमेशा ही महत्वपूर्ण रहेगी आज भी 70 प्रतिशत आमदनी खेती एवं खेती से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त हो रही है। उनके द्वारा सभी संबंधित कर्मियों से आह्वाहन किया गया कि तकनीकी पहलुओं की जानकारी आपके द्वारा ही सुदुर क्षेत्र में बैठे किसानों को दी जाती है। जिससे उनकी आमदनी बढ़ाई जा रही है। कृषि के क्षेत्र में हो रहे व्यापक बदलाव के बारे में जानकारी दी गई। उनके द्वारा बताया गया कि खेती से प्राप्त विभिन्न उत्पाद को ही हम सभी खाते हैं। खेती के तकनीक में इस तरह का अमूलचूल परिवर्त्तन लाया जाय जिससे उत्पादित फसलों की गुणवत्ता अच्छी रहे एवं उसके उपयोग से जनसमुदाय भी स्वस्थ रहे। कृषि उत्पादों को रखने हेतु गोदाम बनाए जाने की आवष्कता बताई। डॉ. रेयाज अहमद, प्रोफेसर, मंडन भारती, कृषि महाविद्यालय, अगवानपुर द्वारा बताया गया कि कृषि एक महत्वपूर्ण विषय है इस जिला में कृषि से संबंधित एक महाविद्यालय है। जहाँ विभिन्न विषयों के व्याख्याता द्वारा कृषि की पढ़ाई की जाती है। उनके द्वारा सभी कर्मियों से कहा गया कि फसल उत्पादन के साथ-साथ मधुमक्खी पालन, मसरूम का उत्पादन आदि के संबंध में कृषकों को प्रशिक्षित करते हुए अधिक से अधिक उत्पादन करने हेतु जागरूक करें ताकि किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके। डॉ. सुभाषीष प्रहिराज, कनीय वैज्ञानिक, मंडन भारती कृषि महाविद्यालय, अगवानपुर सहरसा, द्वारा खरीफ फसल, मक्का एवं मिलेट्स की उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने की तकनीकी पहलूओं की विस्तृत जानकारी दी गई। इनके द्वारा बताया गया कि खेती में समय एवं प्रबंधन का यदि उपयोग किया जाए तो अधिक से अधिक फसल उत्पादन किया जा सकता है।          मो. नदीम अख्तर, कनीय वैज्ञानिक, मंडन भारती कृषि महाविद्यालय, अगवानपुर, सहरसा द्वारा मिट्टी की उर्वरता एवं फसल प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी। उक्त कार्यशाला में संबंद्ध अन्य विभागां यथा पशुपालन, उद्यान, मत्स्य, वन प्रमंडल, कृषि अभियंत्रण, पौधा सरंक्षण, मिट्टी जांच प्रयोगषाला, आत्मा आदि के द्वारा अपने-अपने विभाग द्वारा चलायी जा रही योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गयी। उपरोक्त कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी प्रखंडों के प्रखंड कृषि पदाधिकारी, कृषि समन्वयक, सहायक तकनीकी प्रबंधक, प्रखंड तकनीकी प्रबंधक एवं किसान सलाहकार द्वारा भाग लिया गया। अंत में सधन्यवाद कार्यशाला के समाप्ति की घोषणा की गई।

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