पूरी दुनिया के लिए मोहब्बत एवं रहमत का पैरोकार बनाकर भेजे गए थे मोहम्मद साहब

इंसान तो इंसान जानवरों से भी मुहब्बत की सिख दी मुहम्मद साहब ने

सहरसा(सिमरी बख्तियारपुर)(चन्दन कुमार पासवान):-इस्लामी कैलेंडर का माह रबी-उल-अव्वल तमाम रहमतों, खूबियों व बरकतों से भरा हुआ है।         इसकी विशेषता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लललाहो अलैहि वसल्लम की पैदाइश इसी माह में हुई। उन्होंने अल्लाह के संदेश बंदों तक पहुंचाया। मोहब्बत, इंसाफ और भाईचारे की तालीम दी।हजरत मुहम्मद साहेब के जन्म दिवस पर सोमवार को स्टेट मैदान में जलसा का आयोजन किया गया। दारुल उलूम कादरिया गोसिया सरबेला के तत्वाधान में आयोजित जलसा को संबोधित करते हुए हजरत मौलाना मुमताज साहब मिस्बाही हथमंडल ने कहा की कि पैगंबर मोहम्मद साहब की पैदाइश से पहले न सिर्फ अरब में बल्कि दुनिया भर में जहालत, बेहयाई, बेरहमी और जुल्म चरम पर था।         औरतों को उनके हक से वंचित रखा जाता था, बेटियों को जिदा दफन कर दिया जाता था। गरीबों और मजलूमों पर तरह-तरह के अत्याचार किए जाते थे। रहमते खुदावंदी से रिसालत का सूरज निकला और मोहसिने इंसानियत पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब 12 रबीउल अव्वल को दुनिया में तशरीफ लाए। उनके वालिद का नाम अब्दुल्लाह और वालिदा का नाम बीबी आमिना था। आप अरब के सबसे सम्मानित बनि हाशिम के कुरैश खानदान से थे। मौलाना ने कहा कि ये वो नबी हैं जिनके सदके में हमें दीन और दुनिया की सारी नेअमतें मिलीं। ये उन्हीं का सदका था जिससे एक बिगड़ा हुआ समाज पवित्रता में बदल गया। उन्होंने भाईचारगी का उपदेश दिया, इंसाफ की तालीम दी, बेटियों को उनका हक दिलाया, पड़ोसियों से अच्छा सलूक करने की सीख दी, ऊंच-नीच और भेदभाव को मिटाकर खुशहाल समाज का निर्माण किया।           इतना ही नहीं हजरत खदीजा से शादी करके विधवाओं को सम्मान और नया जीवन जीने का हक दिया। आज जरूरत इस बात की है कि पैगंबर साहब की शिक्षा पर अमल करें और अगली पीढ़ी को इसकी जानकारी दें। यदि कुरान का पालन कर अपनी जिदगी इस्लाम के सांचे में ढाल लें तो सुकून, अमन, इंसाफ और मोहब्बत का बोलबाला होगा। इस अवसर पर मुस्लिम भाईयों ने मस्जिद में जाकर इबादत की। वहीं औरतों ने घर में रह कर इबादत की। अल्लाह के बताए मार्ग एवं नबी के बताए रास्ते पर चलने का आह्वान कर मुल्क में अमन चैन की दुआ मांगी।मौलाना इस्लाम में आतंकवाद की कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि मुसलमान पर आतंकवाद का आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करना अपने आप में एक आतंकवाद है। उन्होंने कहा कि इंसानियत एवं मोहब्बत कर के पैरोकार थे हजरत मुहम्मद साहेब। वह इंसान तो इंसान जानवरों से भीमोहब्बत करने किसी पूरी दुनिया को दिया। जलसा की सरपरस्ती गुल गुलजार अशरफ ने किया। अध्यक्षता मुफ्ती अब्दुल कुद्दूस साहेब ने किया। संचालन मौलाना तुफैल अहमद साहेब अशरफी ने किया।           मौके पर जिला परिषद प्रतिनिधि मारूफ आलम उर्फ पप्पू, नगर मुख्य पार्षद प्रतिनिधि हसन आलम, साजिद अशरफ, सैयद सुलतान अशरफ, मुफ्ती अफाक अशरफ, कारी अब्दुल गफ्फार, सैयद साह, जलालउद्दीन अशरफ, कादरी मिया साहेब, गुड्डू, सलाम साहेब,आजम वारसी, हातिम साहेब का जलसा को सफल बनाने में महत्व पूर्ण योगदान रहा।

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