पोषण माह में एनीमिया के टेस्ट, ट्रीट और टॉक पर जोर

पटना:- पंडारक प्रखंड स्थित अजगरा गांव निवासी निभा पांच महीने की गर्भवती हैं। उन्होंने अपने निकट के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर आरोग्य सत्र दिवस के दौरान अपना हेमोग्लोबीन चेक कराया। उनका एचबी लेवल 6.7 था। वह एनीमिक थीं। लिहाजा उन्हें आयरन फॉलिक एसिड की गोली और एनीमिया से बचने के लिए उचित मार्गदर्शन भी मिला।सूबे में पूरे सितम्बर माह में चल रहे पोषण माह के अंतर्गत एनीमिया दर में कमी के लिए विशेष तरीके का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अंतर्गत टेस्ट, ट्रीट और टॉक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस विधि में राज्य के सभी जिलों में गर्भवती महिलाओं और किशोरियों की डिजिटल विधि से रक्त की जांच की जा रही है। जांच में कमी पाए जाने पर उनका उपचार किया जा रहा है। टी थ्री शिविर में लोगों में उचित आहार की आदतों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ एनीमिया की रोकथाम पर परामर्श भी दिया जा रहा है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (पांचवें) के अनुसार, बिहार में 15 से 49 वर्ष तक की 40 प्रतिशत महिलाओं में एनीमिया की शिकायत है।                             एनीमिया मुक्त भारत की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में राज्य के 95.4 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को 180 रेड आयरन फॉलिक एसिड की गोली दी गयी। इसके अलावा 42.4 प्रतिशत धातृ महिलाओं को भी रेड आईएफए की टेबलेट दी गयी है। शारीरिक दिक्कत के साथ गर्भावस्था को भी प्रभावित करता है एनीमिया पोषण पुनर्वास केंद्र (शिवहर) में डायटीशियन चित्रा मिश्रा कहती हैं कि एनीमिया शारीरिक दिक्कत के साथ मानव स्वास्थ्य और विकास के कई क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है। एनीमिया से जूझ रहे व्यक्ति अक्सर थकान, कमजोरी और कम प्रोडक्टिविटी का अनुभव करते हैं, जिससे उनकी प्रगति करने और समाज में सार्थक योगदान देने की क्षमता बाधित होती है। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान एनीमिया मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है, जिससे जन्म के समय कम वजन, समय से पहले जन्म और मातृ मृत्यु जैसे प्रतिकूल परिणामों की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों में, एनीमिया संज्ञानात्मक विकास में बाधा डालता है, सीखने की क्षमता को खराब करता है और गरीबी और अल्प उपलब्धि के चक्र को कायम रखता है। कार्यक्रमों के संचालन से एनीमिया को हराने की मुहिम:-एनीमिया जैसे गंभीर मुद्दे पर स्वास्थ्य विभाग पहले से ही अपने स्तर से कई कार्यक्रम चला रहा है। इसमें स्तनपान को बढ़ावा, होम बेस्ड यंग चाइल्ड कार्यक्रम, गृह आधारित नवजात की देखभाल, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम, वीएचएसएनडी स्तर समेत अन्य स्तर पर जागरूकता सहित अन्य कार्यक्रम प्रमुखता से चलाए जा रहे हैं।

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