महात्मा गांधी की 155 वी जयंती पर वैश्य समाज के द्वारा महात्मा गांधी के तस्वीर पर माल्यार्पन कर किया गया श्रद्धा सुमन अर्पित

सहरसा-विश्व में सत्य और अहिंसा का मार्ग प्रशस्त करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155 वी जयंती पर वैश्य समाज के द्वारा मीर टोला स्थित कार्यालय में महात्मा गांधी के तस्वीर पर माल्यार्पन कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। वैश्य समाज के जिलाध्यक्ष रामकृष्ण साह उर्फ़ मोहन साह ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि महात्मा गांधी का  विचारों और सिद्धांतों का महत्व आज भी कम नहीं है।           स्वदेशी के प्रति गांधीजी का आग्रह ‘आत्मनिर्भर भारत’ की आधारशिला है। आज के दिन स्वदेशी और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे विचारों के प्रति पुनः संकल्पित होने का है.यही पूज्य बापू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। व्यापार संघ के सचिव व वैश्य समाज के जिला उपाध्यक्ष कुणाल गौरव उर्फ़ विकास गुप्ता ने कहा की सत्य और अहिंसा गांधीवादी विचारधारा के ये 2 आधारभूत सिद्धांत हैं। गांधी जी का मानना था कि जहाँ सत्य है, वहाँ ईश्वर है तथा नैतिकता  (नैतिक कानून और कोड) इसका आधार है। अहिंसा का अर्थ होता है प्रेम और उदारता की पराकाष्ठा गांधी जी के अनुसार अहिंसक व्यक्ति किसी दूसरे को कभी भी मानसिक व शारीरिक पीड़ा नहीं पहुँचाता है। जदयू अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष देवेंद्र कुमार देव व भाजपा अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुबोध साह ने कहा की गांधी जी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपने दुष्टात्माओं, भय और असुरक्षा जैसे तत्वों पर विजय पाना है. गांधी जी ने अपने विचारों को सबसे पहले उस समय संक्षेप में व्य‍क्त किया जब उन्होंने कहा भगवान ही सत्य है.बाद में उन्होंने अपने इस कथन को सत्य ही भगवान है में बदल दिया। महिषी प्रखंड के पूर्व प्रमुख सीताराम शाह व पार्षद कामेश साह ने कहा कि गांधी जी ने 1917 में चंपारण आंदोलन, 1918 में खेड़ा आंदोलन, 1919 में खिलाफत आंदोलन, 1920 में असहयोग आंदोलन, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन सभी महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन किए थे। वैश्य समाज के प्रवक्ता राजीव गांधी साह ने कहा कि गांधी जी का साफ मानना था कि हमारा भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम वर्तमान में क्या करते हैं। भीड़ में खड़ा होना आसान है लेकिन अकेले खड़े होने के लिए साहस चाहिए. मनुष्य के रूप में हमारी सबसे बड़ी क्षमता दुनिया को बदलना नहीं है, बल्कि खुद को बदलना है। विनम्रता के बिना सेवा स्वार्थ और अहंकार है। इस जंयती समारोह को पोद्दार समाज के जिलाध्यक्ष श्याम नंदन पोद्दार, नाई संघ के अध्यक्ष विजेंद्र ठाकुर, उपाध्यक्ष विजय गुप्ता ने कहा कि सत्य, अहिंसा और न्याय का आधार आध्यात्मिक ज्ञान और प्रेरणा है। मनुष्य जीवन का उद्देश्य सांसारिकता से मुक्ति पाकर आध्यात्मिक सुख को प्राप्त करना है। इसी उद्देश्य को दृष्टिगत रखकर गांधी विचारधारा समाज की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था का संतुलित रूप तैयार करना चाहती है।            इस जंयती समारोह को राजकुमार गुप्ता, राजद नेता बैद्यनाथ भगत, नीरज राम, राजनीति गुप्ता, पूर्व मुखिया राजकिशोर साह उर्फ मन्टून, पूर्व पैक्स अध्यक्ष हरेराम साह, रूपेश कुमार, राजा साह, रिटायर्ड हवलदार पुलकित साह, रामनाथ साह, प्रोफेसर मनोज शाह, शिक्षक विनोद साह, निरंजन साह, रामवरण पोद्दार, एलआइसी अभिकर्ता प्रेम साह, सर्वेश्वर शाह, विजय साह, अरुण जायसवाल, कैलाश साह, किशोर साह, राजकुमार साह आदि ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

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