जिले के फाइलेरिया मरीजों की नए सिरे से तैयार होगी लाइन लिस्ट

बक्सर:- जिले के फाइलेरिया मरीजों के लिए अच्छी खबर है। सरकार व जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय के द्वारा जिले के पुराने और नए फाइलेरिया मरीजों की लाइन लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जिले बाद फाइलेरिया के मरीजों को विभाग और सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस क्रम में ग्रेड दो से ऊपर के फाइलेरिया मरीजों के बीच एमएमडीएप किट का भी वितरण किया जाएगा। साथ ही, फाइलेरिया के हाइड्रोसील के मरीजों को चिह्नित करते हुए उनका ऑपरेशन भी कराया जायेगा। जिसके लिए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी (एमओआईसी) के नामित एक पत्र निर्गत किया है। जिसमें सभी एमओआईसी को आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से जल्द से जल्द फाइलेरिया मरीजों की लाइन लिस्ट तैयार करने का निर्देश जारी किया गया है। ताकि, वर्ष 2024-25 के लिए नए सिरे से मरीजों की लाइन लिस्ट तैयार कर उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।
फायलेरिया के कारण अंगों में सूजन आ जाती है:-डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि फायलेरिया एक मच्छर जनित रोग है। जिसमें सबसे अधिक हाथीपांव रोग ग्रसित मरीज होते हैं। फाइलेरिया के अंतर्गत हाथीपांव एक दर्दनाक रोग है। जिसके कारण शरीर के अंगों में सूजन आ जाती है। यह क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से फैलता है।            आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लसिका (लिम्फैटिक) प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है। फाइलेरिया से जुडी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा (पैरों में सूजन) एवं हाइड्रोसील (अंडकोश की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों को इसके कारण आजीविका एवं काम करने की क्षमता प्रभावित होती है। अभियान में लें बढ़ चढ़ कर हिस्सा:-डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार ने 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। जिला स्वास्थ्य समिति और सहयोगी संस्थान इस उन्मूलन अभियान में जिले को फाइलेरिया मुक्त करने में प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में सामुदायिक स्तर पर लोगों का जागरूक होना जरूरी है। फाइलेरिया कभी न ठीक होने वाली बीमारी है। यदि एक बार हो गया तो उसे ठीक नहीं किया जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि समय पर इसकी पहचान कर इस बीमारी को रोका जा सके। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से बचाव और रोकथाम के लिए साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा अल्बेंडाजोल और डीईसी का सेवन कराया जाता है। वहीं, फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों के बीच एमएमडीपी किट का वितरण करते हुए उन्हें इसके इस्तेमाल की जानकारी भी दी जाती है। ताकि, वो अपने प्रभावित अंगों में फाइलेरिया को बढ़ने से रोक सकें।

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