चार दिन पहले तक राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव आयोजन की चर्चा नहीं होने पर एआईवाईएफ ने डीएम को लिखा पत्र

विगत कुछ वर्षों से गोपाष्टमी महोत्सव के आयोजन में जिला प्रशासन नहीं रहा गंभीर, आनन-फानन में होता है आयोजन

मधेपुरा:-स्थानीय लोगों की पहल से आयोजित हो लगातार संघर्ष के बाद राजकीय दर्जा प्राप्त गोपाष्टमी महोत्सव आयोजन की तैयारी की सुगबुगाहट आयोजन के तीन से चार दिन पहले तक शुरू नहीं होने पर वाम युवा संगठन एआईवाईएफ के जिला अध्यक्ष हर्षवर्धन सिंह राठौर ने डीएम को पत्र लिख गोपाष्टमी महोत्सव के आयोजन के संबंध चिंता जताई है। मधेपुरा डीएम को लिखे पत्र में एआईवाईएफ जिला अध्यक्ष ने कहा है कि तैयारी को लेकर मधेपुरा जिला प्रशासन द्वारा इस बार भी तीन से चार दिन शेष होने पर भी सुगबुगाहट नही नजर आ रही है जबकि वृहद स्तर पर आयोजित होने वाले गोपाष्टमी महोत्सव के सफल आयोजन हेतु एक माह पहले से तैयारी की जरूरत होती है । लेकिन विगत कुछ वर्षों में दुर्भाग्य रहा कि गोपाष्टमी महोत्सव को भी कम समय होने का रोना रोकर अगली बार बेहतर और भव्य का आश्वासन दे औपचारिकता में समेट दिया जाता है। इस बार समय रहते कोई पहल नहीं की गई और न ही प्रशासनिक स्तर से इस संबंध में कोई सूचना सार्वजनिक की गई जिससे गोपाष्टमी महोत्सव के आयोजन के संबंध में कई तरह के प्रश्न उठने लगे हैं। स्थानीय प्रयास से शुरू किए गए गोपाष्टमी महोत्सव को वर्ष 2018 में पहली बार स्थानीय स्तर पर लगातार मांग के बाद राजकीय महोत्सव का दर्जा देते हुए राजकीय कलेंडर में शामिल किया गया था जिसके बाद जिला प्रशासन व कला संस्कृति मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में इसका आयोजन हुआ। कम समय में तैयारी के क्रम में समय कम रहने के कारण स्मारिका प्रकाशन, उच्च कोटि के कलाकारों को भी आमंत्रित नहीं कर पाया जाता है अंत में मध्यम दर्जे के कलाकारों को बुला खानापूर्ति सी की जाती है जिससे स्थानीय कलाकारों को को सुगमतापूर्वक बड़े कलाकारों से मिलने व कुछ सीखने का अवसर नहीं मिल पाता। जिला प्रशासन की निष्क्रियता से विगत साल सरकार के कैलेंडर से ही गायब हो गया था महोत्सव और राशि:-एआईवाईएफ जिला अध्यक्ष हर्षवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि अभी तीन से चार दिन का समय मात्र शेष है और तैयारी की चर्चा तक नहीं है इस संबंध में जिला प्रशासन को अपना रुख स्पष्ट करने की जरूरत है कही ऐसा न हो कि जिला प्रशासन की निष्क्रियता के कारण विगत वर्ष की तरह कैलेंडर और बजट की सूची से ही गायब हो जाए जिसके बाद सिंहेश्वर विधायक के लगातार प्रयास के बाद किसी तरह कैलेंडर में शामिल करा राशि भी प्राप्त हो सकी थी। इस बार भी वर्षों से बन्द स्मारिका प्रकाशन को जहां शुरू नहीं होने की शंका प्रबल हो गई है वहीं आले दर्जे के स्थापित बाहरी कलाकारों को सुगमतापूर्वक बुलाने की संभावना भी कम हो रही है जिस पर जिला प्रशासन को गंभीर होने की जरूरत है।                                   विगत वर्ष के गोपाष्टमी महोत्सव में शामिल स्थानीय कलाकारों को टीए, डीए नहीं मिलना शर्मनाक:-राठौर ने पिछले साल आयोजित हुए राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव में शामिल हुए स्थानीय कलाकारों के टीए डीए का अभी तक भुगतान नहीं करने पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए इसे शर्मनाक कृत्य बताया है साथ ही कलाकारों का अपमान और शोषण तक की संज्ञा दी है और कहा कि जिन स्थानीय कलाकारों के उत्थान के लिए महोत्सव आयोजित किए जाते हैं उनकी ही ऐसी उपेक्षा महोत्सव का दुखद अध्याय है।पत्र के माध्यम से राठौर ने अविलंब भुगतान की मांग की है। इस संबंध में एआईवाईएफ जिला अध्यक्ष राठौर ने सरकार का कलाकारों पर ही 60 प्रतिशत राशि खर्च करने का संकल्प का हवाला देते हुए विगत दिनों लखीसराय में उपमुख्यमंत्री का अपने संबोधन में इसकी चर्चा भी को दर्शाया है। महोत्सव के संबंध में जिला प्रशासन स्पष्ट करें अपनी योजना, देर ही सही लेकिन दुरुस्त आयोजन का हो संकल्प:-डीएम को लिखे पत्र में राठौर ने जिला प्रशासन से अविलंब संज्ञान लेते हुए अपने रुख को स्पष्ट करने की मांग करते हुए पूरी तैयारी के साथ प्रचार प्रसार कर मधेपुरा मुख्यालय के साथ स्थानीय कला संस्कृति को जीवंत बनाने वाले सुदूर इलाकों के कलाकारों को भी आसानी से जोड़ने का प्रयास की बात कही है जिससे आयोजन का औचित्य कला संस्कृति का विकास व स्थानीय सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने को पूरा किया जा सके।राठौर ने यह भी कहा है कि इस बार भी अन्य दलीलों के सहारे राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव को औपचारिकता के भेंट चढ़ने देने के बजाय आयोजन की पहल हो साथ ही 60 प्रतिशत राशि कलाकारों पर खर्च हो और उसमें स्थानीय कलाकारों के मद में राशि बढाई जाए सनद रहे साल 2019 की जिला प्रशासन की बैठक में इसपर सहमति बनी थी और राज्य सरकार से और अधिक बजट की मांग का निर्णय किया गया था। गोपाष्टमी महोत्सव आयोजन और स्थानीय कलाकारों के टीए, डीए भुगतान के संबंध में सकारात्मक पहल की एआईवाईएफ ने उम्मीद जताई है।

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