डॉ. राम चैतन्य धीरज की अंग्रेजी में रचित पुस्तक “माइ सिजोफ्रेनिक माइंड” का विमोचन एवं परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित

सहरसा:-सुपर मार्केट स्थित प्रमंडलीय पुस्तकालय में देवता निभा राजनारायण फाउंडेशन एवं मैथिली शब्द लोक के संयुक्त तत्वावधान में आरएम कालेज के मैथिली विभाग के सेवानिवृत प्रोफेसर एवं मैथिली, हिन्दी एवं अंग्रेजी के साहित्यकार डॉ. राम चैतन्य धीरज की अंग्रेजी में रचित पुस्तक “माइ सिजोफ्रेनिक माइंड” का विमोचन एवं परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. ईशनाथ झा, अंग्रेजी विभाग, एसएनएम कालेज भैरव स्थान मधुबनी, अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ विवेका निवर्तमान प्रोक्टर बीएनएमयू मधेपुरा, विशिष्ट अतिथि डॉ. केएस ओझा पुर्व प्राचार्य एसएनएसआरकेएस कालेज सहरसा, प्रो. सरोज कुमार ठाकुर अंग्रेजी विभाग एसएम कालेज खाजीडीह मधुबनी, डॉ. शिशिर कुमार मिश्रा अंग्रेजी विभाग एमएलटी कालेज सहरसा, अरविन्द कुमार मिश्र ‘नीरज’ उपाख्य “कविजी” सेवानिवृत्त प्राध्यापक आरएम कालेज सहरसा, सिद्धेश्वर कश्यप हिन्दी विभाग पीजी सेंटर सहरसा, डॉ. कुमार विक्रमादित्य हिन्दी व मैथिली साहित्यकार, मुक्तेश्वर सिंह मुकेश प्रशासकीय सदस्य प्रमंडलीय पुस्तकालय सहरसा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। अतिथियों को अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. ईशनाथ झा ने कहा कि यह कविता बहुत ही बोधगम्य भाषा में लिखी गयी है। काफी प्रवाहपूर्ण और अपनी लेखन शैली भी अद्भुत है। कविता को पढ़ने से कहीं भी ऐसा महसूस नहीं हो रहा है कि डॉ. धीरज कभी सिजोफ्रेनिया से आहत हुए हैं। उन्होंने अपने लेखन में तथ्यों को बड़ी सुक्ष्मता से प्रस्तुत किया है और वेदों एवं उपनिषद में विमर्श के विषयों और अपने अध्ययन को दैनिक जीवन की घटनाओं के साथ बड़ी कुशलता के साथ समायोजित किया है। यह पुस्तक डॉ. धीरज के संक्षिप्त आत्मकथा को प्रस्तुत करती लगती है। यह कविता अंग्रेजी साहित्य में माइल स्टोन है। प्रोफेसर सरोज कुमार ठाकुर ने कहा कि डॉ. धीरज का सिजोफ्रेनिया की मानसिक स्थिति से गुजरना एक बड़ा अभिशाप है परन्तु कवि ने इस अभिशाप को भी अवसर में बदलकर हमारे लिए एक अनुपम दार्शनिक रचना का योगदान किया है जिसके लिए कवि धन्यवाद के पात्र है। साहित्यकार प्रोफेसर सिध्देश्वर काश्यप ने कहा कि राम चैतन्य धीरज को हम मैथिली के प्रसिद्ध कवि और भाषा वैज्ञानिक के रूप में जानते थे परन्तु माइ सिजोफ्रेनिक माइंड की रचना के उपरांत वह अंग्रेजी के भी नामवर लेखकों में गिने जाएंगे। कवि, कथाकार मुक्तेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि शंकालु व्यक्ति ही साइजोफ्रेनिक व्यक्ति होते हैं। परंतु “माई सिजोफ्रेनिक माइंड” काव्य पुस्तक के रचियिता डॉक्टर राम चैतन्य धीरज प्रकाशमान मस्तिस्क के धनी व्यक्ति हैं। इसलिए गंभीर लम्बी कविता लिख सके।           उनकी अपनी बात में जीवन के कष्टों का विवरण है। लेकिन उनकी बौद्धिक ऊर्जा ने कष्टों पर विजय प्राप्त कर एक दार्शनिक काव्य पुस्तक की रचना कर डाली यह सराहनीय है, इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी। कवि अरविंद मिश्र नीरज ने कहा कि महाविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था में हमलोगों ने साथ ही प्रवेश लिया था। शिक्षा और अध्यापन को अपना बेहतर योगदान देने हेतु कभी कोई कसर नहीं छोड़ा। हमने लेखन कार्य के द्वारा शिक्षा और साहित्य को कई पुस्तकें की दी हैं।परन्तु शिक्षा व्यवस्था और राजनीतिक हस्तक्षेप ने हमें काफी उत्पीड़न दिये जो रामचैतन्य को सिजोफ्रेनिया की स्थिति में पहुंचा दिया जिसका उल्लेख पुस्तक में की गयी है। डॉ. अक्षय चौधरी ने कहा कि इस कविता में कहीं कोई मिलावट अथवा काल्पनिक उल्लेख नहीं किया गया है। डॉ. विश्वनाथ विवेका ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि राम चैतन्य धीरज की यह लम्बी कविता कवि के सिज़ोफ्रेनिक दिमाग व स्थिति के सबंध में प्रकाश डालती है। सिज़ोफ्रेनिया मेडिकल साइंस में एक मानसिक विकार है। साहित्यिक कृतियों की दुनिया में, हर कवि जिसका दृष्टिकोण भौतिक दुनिया की परिधि से परे, आज के व्यवहार से परे, कमाई और जीवन से परे और नाम और प्रसिद्धि से परे है, सिज़ोफ्रेनिक है। मीरा, कबीरा, रवि दास, रहीम, जायसी जैसे अन्य लोग वास्तव में सिजोफ्रेनिक ही थे। यह किसी भी काव्य पुरुष की मानसिक स्थिति है जो केवल भौतिक आकर्षण को नहीं देखता है बल्कि सर्वोच्च चेतना में आनंद को महसूस करने के लिए सांसारिक दुनिया को पीछे छोड़़कर कविता के पंखों पर उड़़ता है। धीरज के पुत्र डॉ. प्रदीप प्रांजल ने कहा कि अंग्रेजी भाषा साहित्य में इस पुस्तक का किस तरह स्वागत किया जाएगा यह तो अंग्रेजी साहित्य के शिक्षाविद एवं सुधि पाठकजन ही बताएंगे परन्तु इसकी कथानक, लेखनशैली और तथ्यात्मक मौलिकता इन्हें दुनिया के सिजोफ्रेनिया से मुक्त हुए लेखकों और  साहित्यिकारों की पंक्ति में खड़ा होने के लिए प्रर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं। डॉ. रमण झा, रणविजय राज आदि ने भी संबोधित किया। मंच संचालन डॉ. अक्षय कुमार चौधरी समाजशास्त्र विभाग आरएम कालेज सहरसा और धन्यवाद ज्ञापन मैथिली कवि एवं साहित्यकार मुख़्तार आलम द्वारा किया गया। इस अवसर पर अर्थशास्त्र विभाग के डॉ. आलोक कुमार, वाणिज्य विभाग के डॉ. कमलाकांत, समाजशास्त्र विभाग के डॉ. श्वेता शरण, बी.एड. विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रतिष्ठा कुमारी, मैथिली विभाग की डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र, शैलेन्द्र शैली, रणविजय झा, डॉ. रमण कुमार झा, डॉ. प्रदीप प्रांजल, डॉ. प्रीति प्रांजल एवं अन्य विद्वज्जन व प्रमंडलीय पुस्तकालय के सिविल सर्विस के अभियर्थी छात्र, छात्राएं उपस्थित रही।

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