सोनपुर मेला में आने वाले श्रद्धालुओं को मिल रही टीबी जांच की नि:शुल्क सुविधा

पटना:-हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला, जो अपने विशाल आकार और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, इस बार सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए भी खास इंतजाम किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग मेला स्थल पर स्टाल लगाकर नि:शुल्क टीबी (तपेदिक) जांच की सुविधा दे रहा है, ताकि मेला में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को इस खतरनाक बीमारी से बचाव की जानकारी और इलाज मुहैया कराया जा सके। यह पहल मेला क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। मेला में स्टॉल लगाकर टीबी के संदिग्ध मरीजों का सैंपल कलेक्शन किया जायेगा।                                                         इसके लिए पूरे एक माह तक स्वास्थ्यकर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गयी है। टीबी बीमारी से बचाव के प्रति किया जायेगा जागरूक:-बुशरा अज़ीम, राज्य आई.ई.सी. पदाधिकारी, यक्ष्मा ने बताया कि टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लक्षण, बचाव के उपाय और इलाज के बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है। टीबी को लेकर भ्रांतियां दूर करने और सही जानकारी देने के लिए विभाग द्वारा स्लोगन और बैनर लगाए गए हैं, ताकि मेला में आने वाले लोग इस बीमारी से जुड़ी सटीक जानकारी प्राप्त कर सकें और समय रहते इलाज करवा सकें। स्वास्थ्य विभाग की यह पहल सोनपुर मेला के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को और भी समृद्ध बनाएगी, साथ ही मेला आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक स्वास्थ्य सुरक्षा कवच प्रदान करेगी। इस प्रयास से न केवल टीबी जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि लाखों लोग समय रहते इसका इलाज करवा सकेंगे, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर हो सकेगा। टीबी चैंपियंस द्वारा किया जा रहा जागरूक:-बुशरा अज़ीम ने बताया कि मेला में लगाये गए कैंप में टीबी चैंपियंस की नियुक्ति की गयी है जो प्रतिदिन मेला में आने वाले लोगों को टीबी के बारे में जानकारी एवं इससे बचाव तथा लक्षण दिखाई देते ही जांच करवाने के लिए जागरूक कर रहे हैं. कैंप में संदिग्ध यक्ष्मा मरीजों के स्पुटम लेने की भी व्यवस्था की गयी है| उन्होंने बताया कि कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार सुहर्ष भगत द्वारा मेला में लगाये गए टीबी कैंप का भ्रमण कर निरिक्षण किया गया है। टीबी कोई आनुवंशिक रोग नहीं है। यह एक संक्रामक रोग है, जिससे नियमित इलाज से छुटकारा पाया जा सकता है। यदि बीच में भी इलाज छोड़ दिया गया तो संबंधित मरीज की मौत भी हो सकती है। इस रोग की भयानकता को देखते राज्य सरकार ने जांच और फिर दवा की उपलब्धता सरकारी अस्पतालों में मुफ्त कराया है।

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