ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के उपचार की अवधि छोटी होनी चाहिए:- डॉ. बी.के.मिश्र

पटना:- “ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के उपचार की अवधि छोटी, मरीजों के लिए पोषक आहार की पूर्ति, सैंपल ट्रांसपोर्टेशन एवं रैपिड मॉलिक्यूलर जांच की सुविधा ड्रग रेसिस्टेंट टीबी की रोकथाम एवं मरीजों की उपचार के लिए आवश्यक है।           ड्रग रेसिस्टेंट टीबी को मात दे चुके टीबी सर्वाइवर, जो टीबी चैंपियन के रूप में कार्य कर रहे हैं, अपने अनुभव को साझा कर उनसे संवाद स्थापित करने में सक्षम हैं”, उक्त बातें अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. बी.के.मिश्र ने रीच संस्था द्वारा एक स्थानीय होटल में आयोजित राज्य स्तरीय प्रसार बैठक के दौरान कही. इस अवसर पर रीच की निदेशक डॉ. राम्या अनंताकृष्णन, केंद्रीय टीबी डिवीज़न के डिप्टी कमिश्नर डॉ. भवानी सिंह कुशवाहा, टीबीडीसी की निदेशक डॉ. रेनू सिंह, राज्य स्वास्थ्य समिति टीबी यूनिट के वरीय पदाधिकारी एवं कर्मी, रीच के वरीय पदाधिकारी एवं कर्मी, इनोवेटेर्स इन हेल्थ के वरीय पदाधिकारी एवं कर्मी, सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं अन्य लोग उपस्थित रहे.
बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय टीबी डिवीज़न के डिप्टी कमिश्नर डॉ. भवानी सिंह कुशवाहा ने कहा कि ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के मरीजों को उपचार से जोड़ने में टीबी चैंपियंस के कार्य प्रशंसनीय है. उन्होंने कहा कि ड्रग रेसिस्टेंट टीबी मरीजों की पहचान एवं उनकी समस्याओं के निवारण की तकनीक होना जरूरी है जिससे ऐसे मरीजों को चिन्हित कर जल्दी से जल्दी उनका उपचार शुरू किया जा सके।          टीबीडीसी की निदेशक डॉ. रेनू सिंह ने कहा कि ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के मरीजों के उपचार की शुरुआत एवं फॉलो अप टीबी चैंपियंस के प्रयास से बेहतर हुआ है. उन्होंने कहा कि टीबी चैंपियंस ऐसे मरीजों को मानसिक संबल प्रदान करते हैं. रीच की निदेशक डॉ. राम्या अनंताकृष्णन ने बैठक में सभी का स्वागत किया और सभी के सहयोग पर धन्यवाद ज्ञापित किया.रीच की डॉ. श्रुति बी.एस. ने “वेव 9 ड्रग रेसिस्टेंट टीबी” के बारे में जानकारी दी और प्रोजेक्ट की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि “वेव 9” प्रोजेक्ट राज्य के 11 जिलों में क्रियान्वित किया गया जिनमें 8 जिलों गया, पटना, सारण, वैशाली, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर एवं दरभंगा में रीच संस्था द्वारा इसे क्रियान्वित किया गया जबकि समस्तीपुर, बेगूसराय एवं मधुबनी में यह प्रोजेक्ट इनोवेटेर्स इन हेल्थ संस्था द्वारा चलाया गया।          डॉ.श्रुति ने बताया कि प्रोजेक्ट द्वारा उक्त 11 जिलों में 4 हजार 212 ड्रग रेसिस्टेंट टीबी से ग्रसित लोगों को चिन्हित किया गया जिनमें 3 हजार 869 लोगों को उपचार से जोड़ा गया. ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के मरीजों को उपचार से जोड़ने का प्रतिशत 92 % रहा।

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