राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव का उद्घाटन इस बार भी साबित हुआ हाथी का दांत

राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव अपने उद्देश्य को पाने से इस बार भी दूर नजर आ रहा

मधेपुरा:-गोशाला परिसर में शुक्रवार को निर्धारित समय काफी विलंब से शुरू होने के बाद भी कार्ड पर दर्शाए पंद्रह अतिथियों में से मात्र दो अतिथियों की उपस्थिति और कलाकारों के चयन और जिला प्रशासन की नीति पर वाम युवा संगठन एआईवाईएफ के जिला संयोजक हर्षवर्धन सिंह राठौर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कड़ी नाराजगी जाहिर करते इसे दुर्भाग्यपूर्ण और स्थानीय कला संस्कृति और कलाकारों के साथ छल बताया। हर्षवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव के आमंत्रण कार्ड में उप मुख्यमंत्री से लेकर पुलिस उप महानिरीक्षक तक पंद्रह अतिथियों के उद्घाटन समारोह में आगमन को दर्शाया गया था लेकिन आलम यह रहा कि उद्घाटनकर्ता और मुख्य अतिथि तो नहीं ही आए अतिथि के नाम पर विशिष्ट अतिथि नरेंद्र नारायण यादव और गरिमामयी उपस्थिति में से चंद्रहास चौपाल काफी विलंब से पहुंचे जिससे घंटों बाद उद्घाटन संभव हुआ। जिला प्रशासन की तैयारी ऐसी थी कि शुक्रवार को उदघाटन से दो घंटे पहले तक भी गोशाला परिसर का मुख्य द्वार तैयार नहीं था जो बना भी वो आकर्षक नहीं।       लाखों के राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव में मुख्य द्वार को छोड़ कहीं भी तोरण द्वार तक नहीं बनाए गए बस कुछ होर्डिंग आखिरी दौर में लगाए गए हैं। प्रचार प्रसार के अभाव का परिणाम रहा की दर्शकों की उपस्थिति काफी कम रही। बड़े प्रतिनिधियों के नहीं आने से महोत्सव बड़ी सरकारी घोषणाओं से लगातार हो रहा वंचित:-वाम युवा संगठन एआईवाईएफ जिला संयोजक श्री राठौर ने कहा कि यह कोई आम बात नहीं है जिला प्रशासन ने गोपाष्टमी महोत्सव को विगत कई वर्षों से मजाक बना दिया है।समय रहते तैयारी नहीं की जाती और अंत में आनन फानन में आयोजन का प्रारूप बनता है।कार्ड में अंकित बड़ी हस्तियों के नहीं आने का मूल कारण आयोजन के दो तीन दिन पहले उनसे संपर्क करना होता है।राठौर ने कहा कि सरकार के बड़े प्रतिनिधियों के नहीं आने से गोपाष्टमी महोत्सव बड़ी सरकारी घोषणाओं से लगातार वंचित हो रहा। ए ग्रेड का महोत्सव हमेशा रहा जिला प्रशासन की उदासीन रवैया का शिकार:-एआईवाईएफ जिला संयोजक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि गोशाला परिसर में साल 2018 से घोषित ए ग्रेड के राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव कला संस्कृति एवं सांस्कृतिक गतिविधि को लेकर जिले का सौभाग्य है लेकिन जिला प्रशासन के दूरदर्शिता वाली नीति नहीं होने के कारण यह ए ग्रेड वाला राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव कई बार अपने औचित्य को भी खोता नजर आया।सरकार द्वारा राजकीय महोत्सव घोषित होने के बाद भी जिला प्रशासन ने कभी भी गोपाष्टमी महोत्सव के साथ बैनर, आमंत्रण कार्ड आदि पर राजकीय शब्द का प्रयोग नहीं कर महोत्सव को मानों कमतर करने की चाल चली। वहीं बड़े कलाकारों के चयन में कभी बड़े कदम नहीं उठाए। कलाकारों के चयन में चयन समिति की उपेक्षा और बड़े संगठनों को नजरअंदाज करना शर्मनाक:-जारी प्रेस विज्ञप्ति वाम युवा नेता राठौर ने कहा है कि इस बार तो आलम ऐसा कि चयन समिति की बिना बैठक के सहमति के ही जिला प्रशासन ने कलाकारों के नाम का चयन कर लिया कई कलाकारों ने तो बताया कि इस बार चयन की सूचना खबर से मिली तो कुछ सदस्यों ने बताया कि बिना बैठक कराए रजिस्टर पर सहमति के हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं। वहीं पहले ऑडिशन, फिर तिथि परिवर्तन, उसके बाद बिना किसी मापदंड के कलाकारों के चयन एवं भारतीय जन नाट्य संघ इप्टा,नवाचार रंगमंच जैसे संगठनों को सूचना तक नहीं देने पर राठौर ने कड़ी नाराजगी जताते इसे दुखद परम्परा की शुरुआत बताई और कहा कि जिला प्रशासन को इस बात का ख्याल रहना चाहिए कि ये वो सांस्कृतिक संगठन है जिन्होंने विभिन्न अवसरों पर जिले को गौरवान्वित किया है उनके सम्मान से खिलवाड़ बर्दास्त नहीं किया जा सकता। छह साल के हो चुके राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव के स्मारिका का इंतजार नहीं हो रहा खत्म:-राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव आयोजन में जिला प्रशासन की कार्यशैली,उदासीनता को कठगढ़े में खड़ा करते हुए राठौर ने कहा कि यह मधेपुरा का दुर्भाग्य है कि यह बिहार का पहला जिला है जहां महोत्सव में स्मारिका प्रकाशन नहीं होती ।बिहार के सभी जिलों में महोत्सव विशेष स्मारिका प्रकाशित होती है जो आने वाली पीढ़ी के लिए एक संग्रह साबित होती है।                                       मधेपुरा के राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव को प्रारंभ से अपने पहले स्मारिका का इंतजार है। इस संबंध में जब जब पत्राचार किया गया तब तब जिला प्रशासन ने समय के अभाव की बात कह अगले आयोजन में प्रकाशन का आश्वाशन दिया लेकिन वो अभी तक नहीं हुआ। राठौर ने कहा कि उसका खामियाजा यह है कि लिखित तो छोड़िए गुगल के पास भी गोपाष्टमी महोत्सव से जुड़ा कोई सामग्री नहीं है। राठौर ने साफ शब्दों में कहा कि राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव के नाम पर सरकार द्वारा प्रदत्त बढ़ी राशि का मूल उद्देश्य कला संस्कृति को बढ़ावा देना और स्थानीय कलाकारों को उत्साहित करना है जिसमें जिला प्रशासन की पहल बहुत उत्साहित करने वाली नहीं रही है।जिला प्रशासन ने अगर अपनी नीयत नहीं सुधारी तो वाम युवा संगठन एआईवाईएफ इसको लेकर संघर्ष का रुख करेगा।

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