सिटी हॉस्पिटल अररिया में रविवार से शुरू हुआ डायलिसिस यंत्र सेवा का संचालन

अररिया:-हाल के दिनों उच्च रक्तचाप,शुगर की बीमारी व गुर्दे से जुड़ी बीमारियों का खतरा कई गुणा बढ़ चुका है। जीवनशैली में बदलाव, ध्रूमपान व नशीले पदार्थ का सेवन, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, बढ़ती उम्र व तनाव कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कारण हैं। जिसकी वजह से किडनी की बीमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गुर्दे की बीमारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए तथा इससे बचाव संबंधी उपायों के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए रोग ग्रस्त लोगों को समुचित जांच व इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में सिटी हॉस्पिटल अररिया में गुर्दे से जुड़ी विभिन्न समस्याओं की जांच के लिये डायलिसिस सेवा का संचालन रविवार से शुरू हो गया है।            इससे पहले उलेमा हजरात द्वारा दरूद फातेहा कर सामूहिक दुआ की गई। तत्पश्चात सिटी हॉस्पिटल अररिया के निदेशक मो. इसराइल, प्रशासनिक प्रबंधक सह माइक्रोबायोलॉजिस्ट मो शमश आलम, डायलिसिस यंत्र के इंचार्ज डॉ एम अजीज, डॉ आसिफ हुसैन, डॉ सरफराज, डॉ मुबसशिर, मैनेजिंग डायरेक्टर आसिफ अली,मो अफाक, पवन कुमार, ईसा भाई, व समाज सेविका सह श्रेष्ठ गृहणी श्रीमती शगुफ्ता नासरीन ने विधिवत व संयुक्त रूप से फीता काट कर डायलिसिस इकाई का शुरुवात किया गया। सिटी हॉस्पिटल के निदेशक मो इसराइल ने बताया कि डायलिसिस सेवा का संचालन शुरू होना सिटी हॉस्पिटल के लिये एक बड़ी उपलब्धि है। सिटी हॉस्पिटल के प्रबंधक ने बताया कि विभिन्न परिस्थितियों में चिकित्सक गुर्दे की रोगियों को डायलिसिस जांच की सलाह देते हैं। इससे रोग का प्रबंधन व इसका उपचार आसान होता है। प्रोजेक्ट हेड नीतीश कुमार निराला ने बताया कि फिलहाल सिटी हॉस्पिटल में एक बेड का इमरजेंसी डायलिसिस सेवा का संचालन शुरू किया गया है। सोमवार से ही ओपीडी में इलाज के लिये आने वाले मरीजों के लिये भी ये सेवा उपलब्ध होगा। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए आगे सप्ताहांत के अंदर अंदर और चार बेड की सुविधा प्रदान की जाएगी। सिटी हॉस्पिटल के प्रशासनिक प्रबंधक शमश आलम ने बताया कि सिटी हॉस्पिटल में डायलिसिस सेवा का संचालन शुरू होने से गुर्दे की समस्या से ग्रसित मरीजों का आसानी से जांच संभव होगा। पहले जहां मरीजों को डायलिसिस जांच के लिये बड़े अस्पताल या निजी क्लिनिक में जाना पड़ता था। वहीं अब कम खर्च पर बेहतर जांच की सुविधा लोगों को सिटी हॉस्पिटल में उपलब्ध होगी। लेटेस्ट वो आधुनिक यंत्र से लैस यहां गुर्दे से जुड़ी बीमारियों का प्रबंधन व उपचार आसान होगा। मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराना सिटी हॉस्पिटल की प्राथमिकता है। इसे लेकर विभिन्न स्तरों पर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कम कीमत पर आम लोगों को बेहतर डायलिसिस की सुविधा होगी। नेफ्रोलॉजिस्ट संतोष आकाश ने बताया कि सिटी हॉस्पिटल में संचालित डायलिसिस की सुविधा लोगों के लिये बेहद उपयोगी साबित होगी। डायलिसिस इकाई का संचालन शुरू होने के बाद से गंभीर रूप से शुगर व गुर्दे के शिकार मरीजों को डायलिसिस के लिये कहीं बाहर जाने की जरूरत अब नहीं होगी । इससे पूर्व मरीजों को नेपाल सहित अन्य पड़ोसी जिले में जांच के लिये जाना पड़ता था। समय पर जांच के अभाव में कई मरीजों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती थी । सिटी हॉस्पिटल के प्रबंधक मो इसराइल ने बताया कि डायलिसिस के लिये बाहर जाने पर मरीजों को काफी पैसा व समय खर्च होता था। सिटी हॉस्पिटल में ये सुविधा उपलब्ध होने के बाद मरीजों को अब जांच के लिए कहीं बाहर नहीं जाना होगा। यह अररिया का एडवांस्ड डायलिसिस यूनिट होगी। यह भी जानकारी दी गई कि यहां आयुष्मान कार्ड की भी सुविधा टाइफ होगी। डायलिसिस तकनीशियन ने बताया कि डायलिसिस के दौरान यहां खून भी चढ़ा सकते हैं। सिटी हॉस्पिटल में स्लेड डायलिसिस की भी सुविधा रहेगी। बताते चलें कि डायलिसिस शोध की एक कृत्रिम विधि होती है। इस डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है, जब किसी व्यक्ति के गुरुदे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं। गुर्दे से जुड़े रोगों लंबे समय से मधुमेह के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसे स्थितियों में कई बार डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है। स्वस्थ व्यक्ति में गुर्दे द्वारा जल और खनिज का सामंजन रखा जाता है। चिकित्सक ने बताया कि किडनी की असफलता से पीड़ित लोगों में जब रक्त परीक्षण से पता चलता है कि किडनी अब अपशिष्ट उत्पादों को पर्याप्त रूप से फिल्टर नहीं कर सकती है और संचित अपशिष्ट उत्पाद समस्याएं पैदा करते हैं तो कई डॉक्टर डायलिसिस की सलाह देते हैं।                                                   डायलिसिस सप्ताह में आमतौर पर 3 दिन की जाती है। रक्त ट्यूब से होकर एक बाहरी मशीन में जाता है जो उसे फिल्टर करती है, उसके बाद उसे एक अन्य ट्यूब के माध्यम से वापस बांह में भेज दिया जाता है। डायलिसिस की यह प्रक्रिया आमतौर पर सप्ताह में तीन दिन की जाती है जो प्रत्येक सत्र लगभग 4 घंटे तक चलता है।

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