आशा कार्यकर्ता के क्षेत्र को केंद्रित कर पूरा किया जाएगा होम डिलीवरी मुक्त पंचायत का अभियान

पटना:-राज्य में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने तथा घर पर हो रहे प्रसव को कम करने के उद्देश्य से होम डिलीवरी मुक्त पंचायत अभियान की शुरुआत की गयी थी। इसके तहत राज्य के 9 जिलों के 80 पंचायत को चिन्हित कर वहां जागरूकता सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे थे। इसी कड़ी में होम डिलीवरी अभियान को और मजबूत तथा सुदृढ़ करने के लिए 136 आशा के कार्यक्षेत्र की पहचान की जा चुकी है। इन क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव घरेलू प्रसव की अपेक्षा कम हुए हैं। मातृ स्वास्थ्य की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ सरिता ने बताया कि संस्थागत प्रसव, सुरक्षित प्रसव एवं मातृ स्वास्थ्य के लिए जननी बाल सुरक्षा योजना जैसे कार्यक्रम संचालित हैं। इसके सकारात्मक परिणाम भी प्राप्त हुए हैं। आंकड़े बताते हैं कि एनएफएचएस 5 के अनुसार, राज्य में 24 प्रतिशत प्रसव घर पर ही हो रहे हैं। ज्यादातर घरेलू प्रसव के मामलों में स्थानीय कारक शामिल हैं। इसका आपसी सहयोग से भी निवारण किया जा रहा है।         ऐसे में संस्थागत प्रसव एवं सुरक्षित प्रसव को सुनिश्चित करने के लिए राज्य में जून 2024 के आशावार प्रसव के आंकड़ों के विश्लेषण से 9 जिलों के 23 प्रखंडों के 80 पंचायत को चिन्हित कर होम डिलीवरी मुक्त पंचायत अभियान चलाया रहा है। इन जगहों पर मुख्य फोकस रख अभियान को पूरा किया जा रहा है। इसमें प्रखंड स्तर पर आशा, एएनएम तथा सीएचओ का उन्मुखीकरण किया जा रहा है। पंचायतों के जन प्रतिनिधि के सहयोग से संबंधित पंचायतों और गांवों में सुरक्षित प्रसव पर सामूहिक चर्चा की जा रही है। घर पर प्रसव है जटिल:-घर पर प्रसव कराना जटिल होने के साथ-साथ जच्चा और बच्चा दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इस संबंध में पटना एम्स में एडिशनल प्रोफेसर सह स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ इंदिरा प्रसाद कहती हैं कि घर पर प्रसव की स्थिति में प्रसव संबंधी जटिलताओं की समय पर पहचान एवं प्रबंधन हेतु अनिवार्य कौशल एवं उपकरणों की अनुपलब्धता के कारण मातृ एवं नवजात की मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। वहीं होम डिलीवरी मुक्त पंचायत के लिए कार्य रहे मुजफ्फरपुर के नसीरूल होदा ने बताया कि ज्यादातर घरेलू प्रसव के लिए स्थानीय समस्याओं का निदान किया जा रहा है। सामुदायिक स्तर पर संस्थागत प्रसव के फायदों के बारे में बताया जा रहा है। इससे स्थिति पहले से बहुत बेहतर हुई है।

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