लिया निर्णय : फाइलेरिया मरीज पंचायतों के नए मरीजों की लाइन लिस्ट करेंगे अपडेट

बक्सर:-फाइलेरिया उन्मुलन को लेकर जिले में संचालित संचार सहयोग परियोजना के तहत चयनित प्रखंडों में स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स पर पेशेंट स्टेक होल्डर प्लेटफॉर्म का गठन किया जा रहा है। ताकि, पंचायत स्तर पर फाइलेरिया के मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं यथा दवाएं, एमएमडीपी किट आदि उपलब्ध कराई जा सके।           इस क्रम में बीते दिन डुमरांव के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आरबी प्रसाद के निर्देशन में प्रखंड अंतर्गत नंदन पंचायत स्थित हेल्थ सब सेंटर (एचडब्ल्यूसी) पर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) प्रियंका कुमारी के नेतृत्व में पेशेंट स्टेक होल्डर प्लेटफॉर्म (पीएसपी) का गठन किया गया। जिसमें शामिल फाइलेरिया मरीजों और सदस्यों को पीएसपी के उद्देश्य, गठन व संचालन के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई। सीएचओ प्रियंका कुमारी ने बताया कि पंचायत में दर्जनभर से अधिक लोग फाइलेरिया से ग्रसित हैं। फाइलेरिया की बीमारी मच्छर काटने से होती है। इसलिए इसके प्रसार की संभावना को झुठलाया नहीं जा सकता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर ही पंचायतों में पीएसपी का गठन किया जा रहा है। ताकि, लोगों को पंचायत और ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा सकें। साथ ही, पीएसपी के माध्यम से पंचायत में फाइलेरिया के हाथीपांव व हाइड्रोसील के मरीजों को चिह्नित किया जाएगा। ताकि, नए मरीजों को स्वास्थ्य विभाग से लिंकेज कराया जा सके। इस पर पीएसपी के सभी सदस्यों ने नए मरीजों की खोज कर लाइन लिस्ट अपडेट करने में सहयोग करने की सहमति जताई। पंचायत के सभी गांवों में लोगों को किया जाएगा जागरूक:-बैठक में पंचायत के मुखिया रामजी यादव ने कहा कि सरकार की यह परिकल्पना काफी सराहनीय है। इससे फाइलेरिया के मरीजों को अब प्रखंड व जिला स्तर के अस्पतालों का चक्कर नहीं लगाना होगा। अब उन्हें हेल्थ सब सेंटर पर ही दवाएं और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। उन्होंने बताया कि पंचायत में हाथीपांव के मरीज काफी हैं। जिनसे अन्य लोगों में संक्रमण के प्रसार की संभावना है। इसलिए वो पंचायती राज के तहत सभी वार्ड सदस्यों, सरपंच व पंचों को एकत्रित कर सभी वार्डों में जागरूकता अभियान चलाने को लेकर चर्चा करेंगे। ताकि, पंचायत के सभी गांवों में लोगों को जागरूक किया जा सके। कई जगह इलाज कराने के बाद भी नहीं मिली निजात:-बैठक में पीएसपी के सदस्य अशोक कुमार चौबे ने बताया कि वो पिछले 12 सालों से फाइलेरिया के हाथीपांव बीमारी से ग्रसित हैं। जिसको लेकर उन्होंने पटना, धनबाद और अन्य शहरों में जाकर इसका इलाज कराया। लेकिन आज तक उन्हें इस बीमारी से निजात नहीं मिली। हां, कुछ दिनों तक सूजन थोड़ा कम हो जाता था, लेेकिन मुकम्मल राहत मिली। जिसके बाद यह समझ में आ गया कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। उन्होंने बैठक में सभी सदस्यों को स्वास्थ्य विभाग की इस पहल पर सहयोग करने की अपील की। ताकि, भविष्य में उनके गांव में कोई भी इस बीमारी से ग्रसित न हो सके। दवाओं के साथ व्यायाम भी जरूरी:-इस दौरान सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के जिला समन्वयक आशीष पांडेय ने मरीजों से कहा कि फाइलेरिया का कोई भी मुकम्मल इलाज नहीं है। फाइलेरिया की दवाई उसके संक्रमण के प्रसार व प्रभाव को रोकने के लिए दी जाती है। ताकि, भविष्य में प्रभावित अंगों के अलावा इसका प्रसार न हो। फाइलेरिया के प्रभाव को कम करने के लिए मरीजों को व्यायाम करने की आवश्यकता है। उसके बाद मरीजों को स्थानीय सरकारी अस्पताल में फाइलेरिया के उपचार के लिए उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी दी गई। साथ ही, फाइलेरिया से ग्रसित अंगों को नियंत्रित रखने के लिए नियमित रूप से साफ सफाई और व्यायाम करने की जानकारी दी गई।           बैठक में आशा कार्यकर्ताओं में सीएचओ व मुखिया के साथ रेखा कुमारी, उर्मिला देवी, पुष्पा देवी व निर्मला देवी के अलावा मरीजों में अशाेक कुमार चौबे, वीणा देवी, राधिका देवी, उषा देवी व बुद्धन शर्मा शामिल हुए। साथ ही, आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका सुनिता देवी व स्थानीय ग्रामीणों में ललन शर्मा व सुशीन कुमार के अलावा सीएफएआर के एसपीए अमित सिंह मौजूद रहे।

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