राज्य में लगातार बढ़ाई जा रही है एसएनसीयू की संख्या

गंभीर रोगों से ग्रसित नवजात के लिए संजीवनी की भूमिका निभाता है एसएनसीयू

पटना:-राज्य सरकार और राज्य स्वास्थ्य समिति मातृ व शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) को नई-नई सुविधाओं से लैस कर रही है. ताकि, कमजोर और बीमार नवजातों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके।    एसआरएस 2020 के अनुसार, राज्य का नवजात मृत्यु दर 21/1000 जीवित जन्म है. एसडीजी का लक्ष्य 2030 तक नवजात मृत्यु दर 12/1000 जीवित जन्म तथा नेशनल हेल्थ पॉलिसी का लक्ष्य 2025 तक नवजात मृत्यु दर 16/1000 जीवित जन्म करना है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार सतत प्रयासरत है.लगातार बढ़ाई जा रही है एसएनसीयू की संख्या:-राज्य में एसएनसीयू की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है. जहाँ वर्ष 2009-10 में राज्य में 4 एसएनसीयू संचालित थे वहीँ वर्ष 2023-24 में संचालित एसएनसीयू की संख्या बढ़कर 45 हो गयी है. राज्य के 45 एसएनसीयू में लगभग 150 चिकित्सक पदस्थापित हैं.चार बीमारियों के उपचार पर दिया जा रहा विशेष बल:-डॉ. विजय प्रकाश राय, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, शिशु स्वास्थ्य ने बताया कि एसएनसीयू की गुणवत्ता और प्रमाणिकता को बनाने के लिए एसएनसीयू से उच्च स्वास्थ्य संस्थानों में रेफरल केस को कम से कम रखने की जरूरत होती है. राज्य ने एसएनसीयू के तहत रेफरल प्वाइंट को 10 प्रतिशत से कम करने का भी लक्ष्य रखा है. उन्होंने बताया कि राज्य में संचालित एसएनसीयू में चार बीमारियों के उपचार पर विशेष बल दिया जा रहा है. जिनमें एक्नेम्सिया, प्री मेच्योर बर्थ,कम वजनी बच्चे और हाइपोथर्मिया है. नवजात की बीमारियों में सहायक उपकरणों की भी आवश्यकता पड़ती है,जिसके निराकरण के लिए रेडिएंट वार्मर, फोटोथेरेपी मशीन, अम्बु बैग, ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम, सक्शन मशीन, सी-पैप, ऑक्सीमीटर जैसे मशीन लगायी गयी है ताकि किसी भी विपरीत परिस्थिति से निपटा जा सके।      मॉनिटरिंग एवं फॉलोअप पर दिया जा रहा ध्यान:-किसी भी कार्यक्रम की सफलता मॉनिटरिंग एवं उसके निरंतर फॉलोअप पर निर्भर करती है. इसे ध्यान में रखते हुए जिलों से एसएनसीयू में भर्ती बच्चों की संख्या, उपलब्ध बेड पर नवजातों की भर्ती और लक्ष्य के अनुरूप नवजातों के डिस्चार्ज रेट पर भी लगातार ध्यान दिया जा रहा है. नवजातों के मृत्यु दर में दो प्रतिशत की कमी भी सतत मॉनिटरिंग एवं अनुश्रवण का ही प्रतिफल है।

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