राज्य के जिला अस्पतालों में सुनिश्चित की जा रही दवाओं की उपलब्धता

पटना:- राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा राज्य के सभी जिला अस्पतालों से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है. अस्पताल आने वाले मरीजों को बाहर से दवा नहीं खरीदनी पड़े, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरंतर प्रयास किया जा रहा है. विभिन्न प्रकार की दवाओं की उपलब्धता जिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में सुनिश्चित कर विभाग सकारात्मक कदम उठा रहा है. बिहार लगातार पांचवें महीने ड्रग डिस्ट्रीब्यूशन में नंबर वना हुआ है. दवा स्टॉक से लेकर वितरण तक 10 मापदंडों पर स्कोरिंग के बाद यह रैंकिंग जारी की जाती है. केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार, राज्य के ड्रग डिस्ट्रीब्यूशन में नंबर 1 बने रहने के पीछे लगभग सभी मानकों में उत्कृष्टता का ध्यान रखा जाना है।         इनमें दवाओं की आपूर्ति, जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, डीवीडीएमएस कवरेज, डीवीडीएमएस पोर्टल का उपयोग, तिथिवार औषधियों का निस्तारण, डिजिटाइजेशन, डैशबोर्ड के माध्यम से रिव्यू तथा क्वालिटी कंट्रोल शामिल है.सीतामढ़ी जिला अस्पताल में उपलब्ध है सर्वाधिक दवाएं:-प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, सीतामढ़ी सदर अस्पताल में 405 प्रकार की दवा उपलब्ध है. नालंदा सदर अस्पताल में 376, गोपालगंज व लखीसराय में 375, मुंगेर एवं कटिहार में 371, सुपौल में 363, भोजपुर में 362, बांका में 360, सहरसा में 359, वैशाली में 356, बेगूसराय में 355, रोहतास में 353, मुजफ्फरपुर में 351, जमुई, भागलपुर एवं अररिया में 348, पटना, जहानाबाद, खगड़िया एवं सारण में 346, औरंगाबाद एवं शेखपुरा में 345, नवादा एवं किशनगंज में 344, सिवान में 341, गया में 339, समस्तीपुर में 335, कैमूर में 334, पूर्वी चंपारण में 333, अरवल एवं बक्सर में 331, शिवहर में 319 एवं मधेपुरा सदर अस्पताल में 299 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं.राज्य में फ्री ड्रग सर्विस इनिशिएटिव यानी मुफ्त दवा सेवा पहल को प्रभावी बनाने एवं राज्य के सरकारी अस्पतालों में आवश्यक दवाओं, सर्जिकल सामग्रियों के इन्वेंटरी प्रबंधन सप्लाई चेन, औषधियों की आपूर्ति और वितरण व्यवस्था का ऑनलाइन अनुश्रवण ड्रग एंड वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम नाम के सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन से राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार द्वारा किया जा रहा है. इसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल से लेकर स्वास्थ्य उपकेंद्रों तक में क्रियाशील किया गया है।

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