जिले में 1,418 स्कूलों में बूथ लगाकर 2.5 लाख बच्चों, शिक्षकों और कर्मियों को खिलाई जा रही फाइलेरिया रोधी दवा

जिले के 26,15,650 लक्षित लाभुकों में से अब तक 17,50,296 को खिलाई जा चुकी है फाइलेरिया रोधी दवा
सहरसा:-फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान के अंतर्गत जिले में घर-घर जाकर लाभुकों को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कराया जा रहा है। 10 फरवरी से 24 फरवरी तक जिले के 26,15,650 लक्षित लाभुकों में से अब तक 17,50,296 लाभुकों को दवा खिलाई जा चुकी है। शिक्षा विभाग के शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार एवं जिला कार्यक्रम प्रबंधक उज्जवल कुमार के सहयोग से निर्धारित माइक्रो प्लान के तहत जिले के 1,418 स्कूलों में बूथ लगाकर दवा का सेवन कराया जा रहा है। बूथ कैंपेन से छूटे हुए लाभुकों को दिया जा रहा लाभ:-जिले में डोर-टू-डोर अभियान के दौरान जिन लोगों को दवा नहीं दी जा सकी, उनके लिए विशेष रूप से बूथ स्थापित किए गए हैं, ताकि कोई भी लाभुक इस अभियान से वंचित न रहे।           इसके अलावा, मॉप-अप राउंड के माध्यम से भी छूटे हुए लोगों को अनिवार्य रूप से दवा खिलाने का प्रयास किया जा रहा है। अब तक 67 प्रतिशत लाभुकों ने किया दवा सेवन:-डोर-टू-डोर कैंपेन के तहत जिले में 67 प्रतिशत लक्षित लाभुकों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जा चुकी है, जिसमें 17 लाख से अधिक लोग शामिल हैं। जो लाभुक अभी तक दवा नहीं ले सके हैं, उन्हें बूथों के माध्यम से दवा दी जा रही है। इस दौरान प्राथमिक रूप से स्कूली बच्चों पर ध्यान केंद्रित किया गया है ताकि उन्हें फाइलेरिया के प्रभाव से सुरक्षित रखा जा सके।एमडीए अभियान की महत्वपूर्ण बातें समुदाय आधारित दृष्टिकोण:-एमडीए अभियान के तहत समुदाय के विभिन्न स्तरों पर जागरूकता बढ़ाई जा रही है, जिसमें शिक्षा विभाग, नगर निगम,आईसीडीएस,स्वास्थ्य विभाग और पीरामल स्वास्थ्य महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सुरक्षित और प्रभावी दवा: फाइलेरिया उन्मूलन के लिए इवेरमेंक्टिन, एल्बेंडाजोल और डीईसी दवाएं दी जा रही हैं, जो पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी हैं। स्वास्थ्य विभाग और पिरामल स्वास्थ्य की टीम यह सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी लाभुक इस दवा सेवन अभियान से वंचित न रहे। दवा को लेकर लोगों के बीच फैली गलतफहमियों को दूर करने के लिए स्वास्थ्य कर्मी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा एवं अन्य फील्ड कार्यकर्ता लगातार प्रयास कर रहे हैं। एमडीए अभियान का मुख्य उद्देश्य 2027 तक भारत को फाइलेरिया मुक्त बनाना है, जिसमें सहरसा जिला भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

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