राज्य की 80 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण महिलाएं हैं जीविका से जुड़ी:- मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जीविका बिहार

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का हुआ आयोजन
पटना- “राज्य की 80-90 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं जीविका परिवार का हिस्सा हैं और महिला सशक्तिकरण, लैंगिक समानता, महिलाओं एवं लड़कियों के खिलाफ हिंसक व्यव्हार, व्यवसाय एवं आत्मनिर्भरता आदि विषयों पर समुदाय में जागृति की अलख जगा रही हैं।           दुखद पहलु यह है कि 40 फीसदी ऐसी महिलाएं ही अपनी बेटियों का विवाह अल्पायु में कर देती हैं. लड़कियों से भेदभाव एवं पोषण में कमी समाज में लैंगिक असमानता का प्रमुख कारण है. हमें अपने घरों में व्याप्त सामाजिक नियमों पर गंभीरता से विचार करने की जरुरत है”, उक्त बातें मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जीविका, बिहार, हिमांशु शर्मा ने जीविका दीदी अधिकार केंद्र: शक्ति एवं समाधान विषय पर आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कहीं. एक स्थानीय होटल में आयोजित कार्यशाला में मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जीविका, बिहार, अभिलाषा कुमारी शर्मा, आयुक्त मनरेगा सह अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जीविका, डॉ. अपराजिता गोगोई, कार्यकारी निदेशक, सी 3, सी 3 के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी प्रकाश कुमार, राज्य के विभिन्न जिलों से आयीं जीविका कर्मी, जीविका एवं सी 3 के अधिकारी एवं कर्मी के साथ सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे. महिलाओं के सामाजिक अधिकारों को सुनिश्चित करने एवं लैंगिक समानता को सशक्त करने के उद्देश्य से जीविका ने 2022 में जेंडर रिसोर्स सेंटर की पहल की, जिसे अब दीदी अधिकार केंद्र के रूप में सभी जिलों में विस्तारित किया जा रहा है. 2023 में, 260 प्रखंडों में इन केंद्रों की स्थापना सुनिश्चित की गई, जो महिलाओं को अधिकारों तक प्रभावी पहुंच एवं लैंगिक हिंसा से जुड़ी सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।          साथ ही दीदी अधिकार केंद्र जच्चा बच्चा कार्ड, आयुष्मान कार्ड बनाने एवं महिलाओं एवं बच्चों को रेफ़रल सुविधाओं को पहुंचाने में भी अहम् भूमिका निभाता है.कार्यशाला को संबोधित करते हुए अभिलाषा कुमारी शर्मा, आयुक्त मनरेगा सह अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जीविका ने कहा लैंगिक समानता सुनिश्चित करके ही लड़कियों एवं महिलाओं के लिए सुरक्षित एवं स्वस्थ माहौल तैयार किया जा सकता है. डॉ. अपराजिता गोगोई, कार्यकारी निदेशक, सी 3 ने अपने संबोधन में कहा कि महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए लिंग एकीकरण पर जीविका एवं सी 3 की साझेदारी राज्य में साकारात्मक परिणाम लाये इसके लिए सामूहिक स्तर पर प्रयास करने की जरुरत है.नीरज कुमार सिंह, राज्य परियोजना प्रबंधक, सामाजिक विकास, जीविका ने जीविका में लिंग एकीकरण की शुरुआत एवं इसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. आयुषी दूबे, उच्च स्नातकोत्तर शोधकर्ता, चाणक्या राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय ने लैंगिक हिंसा के खिलाफ सामुदायिक प्रयासों को मजबूत बनाने में विधिक प्रशिक्षण एवं उपकरण की भूमिका पर चर्चा की।        कार्यशल में डिजिटल जेंडर लर्निंग मॉड्यूल का विमोचन किया गया. पापुलेशन काउंसिल कंसल्टिंग टीम द्वारा जीविका लिंग एकीकरण मॉडल के मुल्यांकन से मिली सीख के बारे में बताया. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में जीविका दीदी द्वारा अनुभवों को भी साझा किया गया जिसमें उन्होंने हिंसा से जुड़े हुए मामलों को समाधान करने संबंधी अपने अनुभवों को भी साझा किया. कार्यक्रम के आख़िरी सत्र में प्रतिभागियों को पाँच समूह में विभक्त कर उनके द्वारा जीविका के लिए तीन वर्ष का कार्ययोजना तैयार किया गया. इन पाँच समूहों द्वारा घरेलू हिंसा, बाल विवाह, बालिकाओं का जन्म प्रतिशत, कामकाजी महिलाओं की संख्या एवं जीविका के विभिन्न थीम में केंद्र एकीकरण विषयों पर समूह टास्क किया गया. रामनिरंजन कुमार, निदेशक जीविका द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।

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