प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में सुधार: राज्य में एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन का प्रभाव

पटना:-एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन के बाद राज्य में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स की स्थिति में सकारात्मक बदलाव आया है। अभी राज्य में कुल 201 स्वास्थ्य संस्थान एनक्यूएएस सर्टिफाइड हैं, जिनमें 27 राष्ट्रीय एवं 174 राज्य स्तरीय प्रमाणित हैं। इस प्रमाणन का सीधा प्रभाव प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच पर पड़ा है। लोगों को अब घर के पास बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलने लगी हैं, जिससे उन्हें दूर अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ती। सारण जिले का फुलवरिया हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर:-एक नई पहचान:-सारण जिले के मकेर प्रखंड का फुलवरिया हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, जो पहले विभागीय उदासीनता और सीमित सुविधाओं के कारण अप्रभावी था, अब अपनी गुणवत्ता में मिसाल बन चुका है। पहले मरीजों को 40 किलोमीटर दूर जिला या निजी अस्पताल जाना पड़ता था, लेकिन अब यह सेंटर हर माह 1400-1500 मरीजों को ओपीडी सुविधा दे रहा है।                                 गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच भी यहां की जा रही है, और अब 150 से अधिक महिलाओं की एएनसी जांच होती है। पहले केवल 2 प्रकार की जांच उपलब्ध थी, जो अब बढ़कर 14 हो चुकी है। बीपी और शुगर के 250 मरीजों का नियमित इलाज हो रहा है। फुलवरिया निवासी चंद्र भूषण ने बताया, “आयुष्मान आरोग्य मंदिर से स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हो गई हैं। अब हमें दूर नहीं जाना पड़ता, घर के पास ही इलाज और दवाएं मिल जाती हैं, जिससे समय और पैसे की बचत होती है।” बेगूसराय जिले का कटरमाला हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर: सुविधाओं में बड़ा सुधार:-बेगूसराय जिले के डंडारी प्रखंड स्थित कटरमाला हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थिति भी एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन के बाद काफी बेहतर हुई है। पहले यहां मात्र प्रतिदिन 15 मरीज ही ओपीडी में इलाज के लिए आते थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 60 हो गई है। 45 वर्षीय सुजीत कुमार, जो इस केंद्र पर अपना इलाज करवा चुके हैं, बताते हैं, “पहले हमारे क्षेत्र में प्राथमिक उपचार और स्वास्थ्य सेवाओं का घोर अभाव था। लेकिन अब यह सब बदल चुका है, और हमें घर के पास ही बेहतर इलाज मिल रहा है।” लखीसराय जिले का तेतरहट हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर: सेवाओं की विस्तृत उपलब्धता:-लखीसराय जिले के तेतरहट हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को राज्य स्तरीय एनक्यूएएस प्रमाणन मिलने से पहले कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। केंद्र पर दवाओं की कमी थी, जांच की पूरी सुविधा उपलब्ध नहीं थी और मरीजों की संख्या भी काफी कम थी। पहले यहां मात्र प्रतिदिन 10-15 मरीज ही ओपीडी में इलाज के लिए आते थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 40 हो गई है। अब इस केंद्र में सभी 14 प्रकार की जांच सुविधाएं उपलब्ध हैं और 131 प्रकार की दवाएं भी आसानी से मिल रही हैं। इससे मरीजों को तत्काल और प्रभावी उपचार मिल रहा है।

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