मंडल कारा में सजा काट रहे मारपीट में घायल बंदी की हुई मौत

– मंडल कारा और न्यायिक प्रक्रिया पर मृत बंदी के परिजन ने लगाया गंभीर आरोप
– इलाज में बरती गई लापरवाही का लगाया आरोप
– हायर सेंटर में रेफर होने के बाद भी नहीं भेजा गया दरभंगा या पटना, जिसके कारण हुई मौत
– सदर अस्पताल में शव का हुआ पंचनामा

सहरसा:-स्थानीय मंडल कारा और व्यवहार न्यायालय के न्यायिक प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह लगाया गया है। यह प्रश्न चिन्ह शुक्रवार की देर रात मंडल कारा में बंद मारपीट की घटना में घायल बंदी की मौत के बाद उनके परिजन लगा रहे हैं। वे घायल बंदी को हायर सेंटर में इलाज करने की चिकित्सकों द्वारा दी गई सलाह पर अमल नहीं किए जाने की कार्यवाई पर मंडल कारा और न्यायिक व्यवस्था पर आरोप लगा रहे थे। क्या है मामला:-शुक्रवार की देर रात लगभग 11 बजे स्थानीय मंडल कारा में बंद बंदी और जिले के नवहट्टा थाना क्षेत्र के शाहपुर गांव, वार्ड नंबर-5 निवासी सुकन मिस्त्री के पुत्र छोटकन मिस्त्री की मौत हो गई।      जिन्हें आनन-फानन में सदर अस्पताल लाया गया। जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जिसके बाद उनके परिजनों को देर रात 11 बजे ही सदर अस्पताल आने की हिदायत मंडल कारा प्रशासन और स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा दी गई। लेकिन वे लोग देर रात गाड़ी नहीं मिलने की हवाला देकर आने से मना कर रहे थे। जिसके बाद रात के ही लगभग 1 बजे नवहट्टा थाने की गाड़ी पीड़ित के घर पहुंची। जिसके बाद मृतक के परिजन सदर अस्पताल लाए गए। जहां उनका रो-रो कर बुरा हाल था। क्या कहा मृतक के परिजन:-मृतक की भाभी कलावती देवी ने बताया कि बीते साल 2020 के 11 अगस्त को पड़ोसी द्वारा मारपीट की घटना घटी थी। जिसमें उनके देवर गिरफ्तार होकर जेल गए थे। जिसके बाद से वे जेल में ही बंद थे। कुछ दिन पूर्व से वे काफी बीमार चल रहे थे। तीन दिन पूर्व उनकी तबीयत बहुत खराब हुई। जिसके बाद उन्हें सदर अस्पताल इलाज के लिए लाया गया था। जहां से उन्हें रेफर कर मधेपुरा मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया था। जहां उन्हें इलाज के लिए ले गए थे। शुक्रवार को मधेपुरा मेडिकल कॉलेज से उन्हें पटना रेफर कर दिया गया था। लेकिन मंडल कारा के कर्मी उसे लेकर वापस सदर अस्पताल पहुंचे। जहां उसने खाना भी खाया और पानी भी पिया था। इसके बाद उन्हें दरभंगा ले जाने के बदले मंडल कारा वापस लेकर चले गए। फिर देर रात अचानक 11 बजे थाना से उनके यहां फोन गई। अनलोगों को सदर अस्पताल आने की सूचना दी गई। लेकिन रात में गाड़ी नहीं मिली। फिर 1 बजे रात में थाना की गाड़ी उनके घर पहुंची। वे लोग सदर अस्पताल पहुंचे। जहां छोटकन की मौत हो गई थी। मंडल कारा की लापरवाही से उनकी मौत हुई है।         उन्हें इलाज के लिए दरभंगा या पटना ले जाना चाहिए था। लेकिन वह लोग वापस मंडल कारा ले गए। जिससे उनकी मौत हुई है। मृतक के पांच बच्चे हैं। जिनमें तीन लड़की और दो लड़के है। अब उनका गुजारा कैसे होगा? मंडल कारा के पदाधिकारी ने बताया कि बंदी की मौत हुई थी। पोस्टमार्टम कराया गया है। कार्रवाई की जा रही है।

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