विकसित कृषि संकल्प अभियान की कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने साझा किए अनुभव

पटना:-देश में चल रहे राष्ट्रव्यापी ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का समापन गुरुवार को हुआ। इसके उपरांत शुक्रवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में संस्थान के निदेशक एवं विकसित कृषि संकल्प अभियान (बिहार एवं झारखंड) के नोडल अधिकारी डॉ. अनुप दास ने संस्थान के वैज्ञानिकों एवं तकनीकी अधिकारियों के साथ इस अभियान की समीक्षा की।           उन्होंने वैज्ञानिकों एवं तकनीकी अधिकारियों के समर्पित प्रयासों की सराहना की और बताया कि बिहार एवं झारखंड में इस अभियान का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन किया गया है। समीक्षा करते हुए निदेशक डॉ. दास ने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि किसानों को गुणवत्तापूर्ण एवं समय पर बीज उपलब्ध कराने के लिए बीज श्रृंखला एवं बीज हब्स को सुदृढ़ किया जाना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि इस अभियान के माध्यम से वैज्ञानिकों को किसानों की आवश्यकताओं एवं उनकी खेती से जुड़ी समस्याओं की प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त हुई, जिससे भविष्य की अनुसंधान एवं प्रसार गतिविधियों को किसानों की ज़मीनी जरूरतों के अनुरूप ढालने में सहायता मिलेगी। अभियान के दौरान विभिन्न विभागों एवं संस्थानों के बीच जो घनिष्ठ सहयोग और समन्वय स्थापित हुआ, उससे एक दीर्घकालिक संबंध विकसित हुआ है, जो भविष्य में किसानों को वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने में बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेगा। विशेष रूप से कृषि विज्ञान केंद्रों को इस अभियान से सर्वाधिक लाभ प्राप्त हुआ है, क्योंकि वे अपने-अपने जिलों के अधिकांश प्रखंडों तक पहुँचने में सक्षम हुए हैं, जिससे उन्नत तकनीकों के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं किसानों की क्षमता निर्माण में दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। कार्यक्रमों के निष्कर्षों के सुव्यवस्थित दस्तावेजीकरण की महत्ता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि अभियान के दौरान किसानों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं को संकलित किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य की योजना एवं नीति निर्माण में उसका समुचित उपयोग हो सके। इसके पश्चात डॉ. उज्ज्वल कुमार, प्रभागाध्यक्ष, सामाजिक-आर्थिक एवं प्रसार तथा विकसित कृषि संकल्प अभियान (बिहार एवं झारखंड) के समन्वयक ने अभियान के समग्र कार्यान्वयन एवं उपलब्धियों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी। प्रस्तुति के बाद आयोजित विचार-विमर्श सत्र में वैज्ञानिकों ने किसानों से उनके प्रत्यक्ष संवाद के दौरान प्राप्त अनुभवों एवं अनुसंधान योग्य मुद्दों को साझा किया। इस चर्चा के प्रमुख बिंदुओं में फसल सुधार की आवश्यकता, जल एवं सिंचाई प्रबंधन, पशु स्वास्थ्य, कृषि में युवाओं की भागीदारी, आदान आपूर्ति श्रृंखला, यंत्रीकरण सहयोग जैसे विषय प्रमुख रहे।            बैठक में लगभग 45 वैज्ञानिक एवं तकनीकी अधिकारी उपस्थित रहे। प्रतिभागियों में से 70% ने इस अभियान को कृषि के विकास की दृष्टि से 10 अंकों के पैमाने पर 8 से अधिक अंक देने की सहमति जताई।

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