रोहतासगढ़ पंचायत बना गृह मुक्त प्रसव पहल में अग्रणी

सासाराम:- मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर गृह प्रसव में कमी लाने की दिशा में सरकार की पहल अब धीरे रंग लाने लगी है। गृह प्रसव मुक्त पंचायत का असर अब रोहतास जिले में भी दिखने लगा है। इसका जीता जगता उदाहरण रोहतास प्रखंड के रोहतास गढ़ पंचायत है जहां पिछले चार महीने ने गृह प्रसव ने आंकड़ों में काफी कमी आई है। रोहतास गढ़ पंचायत में गृह प्रसव की अधिकता एक गंभीर चिंता का विषय थी, जिससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर बढ़ने की संभावना बनी रहती थी।          इस चुनौती से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस, शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर एक समन्वित प्रयास किया गया। इस पहल में पिरामल टीम ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका मुख्य उद्देश्य संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना और समुदाय में जागरूकता फैलाना था। पंचायत स्तर पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन:-राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार रोहतास जिले का नौहट्टा प्रखंड का रहल पंचायत, रोहतास प्रखंड का रोहतासगढ़ पंचायत तथा शिवसागर प्रखंड का मुहम्मदपुर और उलहो पंचायत में 40 फीसदी गृह प्रसव के मामले सामने आए थे जिसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति गंभीर थी। गृह प्रसव को संस्थागत प्रसव में बदलने के लिए पंचायत स्तर पर विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिनमें समुदाय-आधारित जागरूकता अभियान, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर परामर्श, संसाधनों का सही वितरण, एवं गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्र तक पहुँचाने की रणनीति शामिल थी। इस सामूहिक प्रयासों ने केवल चार महीनों में रोहतास प्रखंड के रोहतास गढ़ पंचायत में गृह प्रसव को 50 प्रतिशत तक कम करने में मदद की। चार महीनों में दिखा बेहतर परिणाम:-सामूहिक स्तर पर चलाए गए अभियान से रोहतास गढ़ पंचायत में चार महीनों में ही इस पहल का सकारात्मक प्रभाव दिखने लगा। पंचायत में कुल 87 प्रसव हुए, जिनमें से केवल 17 प्रसव ही घर पर हुए। यह बदलाव संस्थागत प्रसव की ओर एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है, जिससे मातृ एवं नवजात देखभाल की सुविधा बेहतर हुई और सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा मिला। आपसी सहयोग से मिली सफलता:-इस अभियान में जुटी पिरामल स्वास्थ्य की टीम लीड पल्लवी बॉस ने कहा कि सभी हितधारकों के बीच सहयोगात्मक प्रयास परिवर्तन लाने में प्रभावी साबित होते हैं।           खासकर फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं द्वारा समुदाय में जागरूकता फैलाने और परामर्श देने से संस्थागत प्रसव को लेकर व्याप्त भ्रांतियों को दूर किया जा सकता है। वही अर्जुन गोस्वामी ने कहा कि निरंतर निगरानी और साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने से बदलाव को लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है। रोहतास गढ़ पंचायत की यह सफलता सामूहिक प्रयासों और समुदाय की भागीदारी की शक्ति का प्रमाण है। रोहतास गढ़ बनेगा रोल मॉडल:-रोहतास सिविल सर्जन डॉ मणिराज रंजन ने कहा कि यह पहल न केवल रोहतासगढ़ पंचायत बल्कि पूरे जिले के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है और भविष्य में अन्य पंचायतों में भी इस मॉडल को अपनाने की योजना बनाई जा रही है।

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