एईएस में हाइपरग्लेसेमिया व जेई से बच्चे ज्यादा प्रभावित, रखें ध्यान

पटना:-मौसम की तल्खी से राज्य में जेई व एईएस से पीड़ित होने की संभावना बढ़ गयी है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग काफी सतर्क एवं सजग भी दिख रहा है। निदेशक प्रमुख (स्वास्थ्य सेवाएँ) तथा राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी के नेतृत्व में तीन उच्च स्तरीय टीमें विभिन्न जिलों का लगातार दौरा कर एईएस/जेई प्रबंधन की तैयारियों का जायजा ले रही है। राज्य में एक जनवरी 2025 से 28 मार्च तक कुल 15 बच्चों को एईएस ने प्रभावित किया है। इन्हें उपचार के बाद अस्पतालों से डिस्चार्ज भी कर दिया गया है। एईएस प्रभावित बच्चों में हाइपोग्लेसेमिया सबसे बड़ी वजह बन कर उभरी है। इसके अलावा जेई भी इसके वजहों में शामिल है। जिन जिलों में जेई व एईएस के केस मिले हैं उनमें जहानाबाद, सुपौल, भोजपुर, मधुबनी, भागलपुर, मोतिहारी और मुजफ्फरपुर शामिल हैं। इस बार राज्य में 15 जिलों को जेई और एईएस से अति प्रभावित जिलों की सूची में शामिल किया गया है। एईएस प्रभावित जिले में 5 वर्ष से ज्यादा समय तक एईएस रोग के प्रबंधन का रखने वाले पूर्व जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार कहते हैं कि हाइपरग्लेसेमिया बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इसमें रक्त में शुगर की कमी हो जाती है जिससे बच्चे सबसे ज्यादा सुबह उठने के पहले अचेत अवस्था में चले जाते हैं या उनमें मिर्गी जैसे लक्षण उभर कर सामने आते हैं। स्वास्थ्य विभाग मुस्तैदी से तैयार:-स्वास्थ्य विभाग जेई एवं एईएस के प्री और पोस्ट मैनेजमेंट के लिए मुस्तैदी से तैयार है।          इसके लिए प्रखंड स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों में दो बेड के स्पेशल वार्ड तैयार किए गए हैं। वहीं अनुमंडलीय अस्पताल में पांच, जिला स्तर पर पीकू वार्ड में 10 बेड और मेडिकल कॉलेजों को भी तैयार रहने को कहा गया है। इसके लिए विशेष एसओपी भी तैयार किया है। बिना प्राथमिक इलाज के कोई जेई या एईएस प्रभावित बच्चे रेफर नहीं किए जाएँगे। एईएस वार्डों को भी एसओपी के अनुरूप एवं पूर्णत: वातानुकूलित बनाया गया है। पूरे राज्य में जेई एवं एईएस के लिए जागरूकता प्रसार सामग्री भेज दिए गए हैं। पटना एम्स में फिलहाल स्टाफ नर्स और चिकित्सकों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। जेई 1 से 95 और जेई 2 से 86 प्रतिशत हुए प्रतिरक्षित:-इस वर्ष राज्य के 6 बच्चे अब तक जेई से प्रभावित हुए हैं। जेई से बचाव के लिए बच्चों को टीकाकरण भी किया जाता है। राज्य में जेई 1 से 95 प्रतिशत बच्चे यानी लगभग 27 लाख 71 हजार बच्चों को प्रतिरक्षित किया गया है, जबकि जेई 2 से 25 लाख 20 हजार बच्चे प्रतिरक्षित किए गए हैं।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
अब पायें अपने शहर के सभी सर्विस प्रवाइडर के नंबर की जानकारी एक क्लिक पर


               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Mytesta.com