असुरों के संहार को लेकर ही हुआ है भगवान का अवतार:-स्वामी आगमानंद जी महाराज

सहरसा:-श्री शिव शक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर एवं उत्तरतोताद्रि मठ विभीषणकुंड अयोध्या के उत्तराधिकारी श्रीमज्जगद्गुरु रामानुजाचार्य अनन्त श्री रामचंद्राचार्य जी महाराज उर्फ स्वामी आगमानंद जी महाराज के सानिध्य में आर्दश ऊर्जा ग्राम रौंता में श्री श्री 108 श्री शतचंडी महायज्ञ सह श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा सुनाई। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। कथा व्यास श्रीमज्जगद्गुरु रामानुजाचार्य जी ने भगवान श्रीकृष्ण अवतार पर चर्चा करते हुए कहा कि गज जीव है, ग्राह माया हैं। माया से जीव को परमात्मा कृष्ण ही छुडाते हैं। जीवन के समुद्र का मंथन देव दानव दो प्रवृत्ति मिलकर करते तो विष अमृत आदि 14 रत्न निकलते हैं।          भगवान वामन ने बलि पर कृपा बरसा दी। श्रीकृष्ण का प्राकट्य समस्त जीव जगत के लिए परम कल्याणकारी हैं। क्योंकि अधर्म, अन्याय, अभियान, अत्याचार का शमन परमात्मा स्वयं करते हैं। कंस इतना अत्याचारी था कि उसने अपने पिता अग्रसेन को भी कारागार में डाल दिया  मुसीबत में केवल इंसान को भगवान ही साथ देते हैं। जबकि प्राणी मोहमाया और परिवार में माया जाल में फसकर प्रभु को भूल जाता। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं। उसके बाद भी वह अपने माता पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे। जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पापाचार बढ़ा है, तब-तब प्रभु का अवतार हुआ है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब धरा पर मथुरा के राजा कंस के अत्याचार अत्यधिक बढ़ गए तब धरती की करुण पुकार सुनकर श्रीहरि विष्णु ने देवकी माता के अष्टम पुत्र के रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया। इसी प्रकार त्रेता युग में लंकापति रावण के अत्याचारों से जब धरा डोलने लगी तब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने जन्म लिया।         भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के घर से केवल माखन चुराया अर्थात सार तत्व को ग्रहण किया। हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपनाने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है। साथ ही कृष्ण जन्मोत्सव की अनुपम छटा देखकर श्रोता देखकर हर्षित हो उठें। वहीं बुधवार को प्रथम चरण में सपत्नीक यजमान ठाकुर अवधेश सिंह के साथ योगपीठ के विद्वान पंडित आचार्य पंडित अनिरुद्ध शास्त्री, मनमोहन बाबा, अणु बाबा, ब्रजेश बाबा, गौतम बाबा, लक्ष्मण बाबा एवं अन्य पंडितों के द्वारा पूजा अर्चना एवं शतचंडी यज्ञ में हवन संपादित किया गया। उत्तर चरण में योगपीठ से जुड़े कलाकारों के द्वारा भजन माला के साथ मंचीय कार्य शुरू हुआ। भजन सम्राट हिमांशु मिश्र दीपक जी के साथ योगपीठ कलाकारों में माधवानंद ठाकुर, पवन दुबे, बलवीर सिंह बग्घा, गुलशन, नंदन, कुंदन, राजू, ‌अजीत सिंह भजो हरि के भजन पर श्रोताओं झूमते रहे। कथा व्यास पर श्रीमज्जगद्गुरु रामानुजाचार्य अनन्त श्री स्वामी रामचंद्रराचार्य जी स्वामी आगमनंद जी महाराज श्रीमद्भागवतद कथा ज्ञान महायज्ञ के चतुर्थ दिन स्वस्ति वाचन एवं संगीत मयी आरती के साथ कथा गंगा में प्रवेश किए।         मौके पर योगपीठ से जुड़े पंडित आचार्यों के साथ मनोरंजन प्रसाद सिंह स्वामी मानवानंद, कुंदन बाबा, डॉ. ज्योतिन्द्र चौधरी, सिकन्दर प्रसाद सिंह, अनिल सिंह के साथ महायज्ञ समिति के अध्यक्ष संतोष कुमार समदर्शी, शैम्पू सिंह, उद्घोषक ज्योति कुमार सिंह, सुमन कुमार सिंह, विनित कुमार, विवेक सिंह, नवनीत सिंह, सत्यनारायण सिंह, अविनाश सिंह, अंगद सिंह, राजेश रंजन आदि मौजूद थे।

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