नेहरू-एडविना की चिट्ठियां वापस दे दीजिए, पीएम म्यूजियम ने सोनिया गांधी से मांगे कई निजी दस्तावेज

डेस्क:-प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निजी दस्तावेजों तक पहुंच प्रदान करने की मांग की है। इनमें नेहरू-एडविना की चिट्ठियां भी शामिल हैं। यह दस्तावेज मई 2008 में सोनिया गांधी द्वारा तत्कालीन नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी (एनएमएमएल) से वापस लिए गए थे।           पीएमएमएल ने अपने पत्र में कहा है कि इन दस्तावेजों को शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराया जाए ताकि आधुनिक भारतीय इतिहास को बेहतर ढंग से समझा जा सके। अंतःपुर के नारद मुनि के मुताबिक पीएमएमएल ने सोनिया गांधी से नेहरू से संबंधित कई अन्य महत्वपूर्ण पत्राचार दान करने का भी अनुरोध किया है , जिससे आधुनिक भारतीय इतिहास को समझने में मदद मिल सके। सोनिया गांधी के कार्यालय ने इस पत्र पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। अंकित करने वाली बात है कि यह पहली बार नहीं है जब पीएम म्यूजियम ने गांधी परिवार से भारत के पहले पीएम से जुड़े निजी दस्तावेजों की मांग की है। पिछले साल भी प्रधानमंत्री संग्रहालय ने गांधी परिवार से जवाहरलाल नेहरू द्वारा एडविना माउंटबेटन और अल्बर्ट आइंस्टीन जैसी ऐतिहासिक हस्तियों को लिखे गए व्यक्तिगत पत्र वापस करने का अनुरोध किया था। अनुरोध में उनसे इन दस्तावेजों को वापस करने या कम से कम उनकी डिजिटल या फोटोग्राफिक प्रतियां उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया था। फरवरी 2024 में हुए पिछले वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में इस विषय पर चर्चा हुई थी , लेकिन यह पहली बार है जब पीएमएमएल ने इस मुद्दे को आधिकारिक रूप से सोनिया गांधी के सामने रखा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई पिछली बैठक में पीएमएमएल के संग्रह में मौजूद नेहरू के निजी दस्तावेजों पर चर्चा हुई थी। इनमें से 51 बॉक्स मई 2008 में सोनिया गांधी ने वापस ले लिए थे। बैठक में यह विचार व्यक्त किया गया था कि इन दस्तावेजों को फिर से वापस लिया जाना चाहिए और उनके स्वामित्व , संरक्षण , कॉपीराइट और उपयोग को लेकर कानूनी राय ली जानी चाहिए।पीएमएमएल के रिकॉर्ड के अनुसार सोनिया गांधी द्वारा वापस लिए गए दस्तावेजों में नेहरू और जयप्रकाश नारायण, एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, अरुणा आसफ अली, विजयलक्ष्मी पंडित और जगजीवन राम के बीच हुए पत्राचार शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष बीते 15 जनवरी को पीएमएमएल सोसाइटी और कार्यकारी परिषद का पुनर्गठन किया गया था, जिसमें पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को फिर से अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इसके अलावे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, पूर्व नीति आयोग उपाध्यक्ष राजीव कुमार, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन, फिल्म निर्माता शेखर कपूर और संस्कार भारती के वासुदेव कामथ को भी समिति में शामिल किया गया है। नई पीएमएमएल सोसाइटी की पहली वार्षिक आम बैठक जल्द होने वाली है, जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा की संभावना है। सोनिया गांधी को भेजे गए पत्र के बाद भविष्य में इस मामले में कोई ठोस कदम उठाया जा सकता है। इस बीच पीएमएमएल ने भारत के सभी पूर्व और वर्तमान प्रधानमंत्रियों के परिवारों और कार्यालयों को पत्र लिखकर उनसे महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। अब तक पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह के पोते ने इस पत्र का जवाब दिया है और उनके जीवन से जुड़े कुछ दस्तावेज और कलाकृतियों को दान करने पर सहमति जताई है। 2008 में दस्तावेजों को वापस लेने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए नारद मुनि ने बताया कि मार्च 2008 में सोनिया गांधी के प्रतिनिधि एम. वी. राजन ने पीएमएमएल का दौरा किया था।          उन्होंने नेहरू संग्रह से निजी और सरकारी कागजातों को अलग किया और सभी निजी दस्तावेजों को 51 बक्सों में पैक कर 05 मई 2008 को सोनिया गांधी को भेज दिया था। यह प्रक्रिया तत्कालीन निदेशक की मंजूरी से हुई थी। पीएमएमएल का मानना है कि संबंधित दस्तावेज भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इन्हें शोधकर्ताओं के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए। हालांकि सोनिया गांधी या उनके कार्यालय की ओर से इस मांग पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

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