लोक संस्कृति और नाटक कला के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए कोशी गौरव सम्मान से सम्मानित होंगे रंगकर्मी विकास 

मधेपुरा:-बिहार और कोशी अंचल के लोक-संस्कृति को सहेजने एवं नाटक विधा में अहम योगदान के लिए 14 अप्रैल 2025 को सर्वोदय समाज की और से नगर भवन कटिहार में डॉ बाबा साहेब की जयंती समारोह पर आयोजित कार्यक्रम में कोशी गौरव सम्मान 2025 रंगकर्मी और निर्देशक विकास कुमार को प्रदान किया जायेगा।                                      यह जानकारी सामाजिक सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय संस्था सृजन दर्पण के अध्यक्ष डॉ. ओम प्रकाश ओम ने दी है उन्होंने बताया कि सम्मान पाने वाले लोक संस्कृति और रंगमंच के प्रति समर्पित रंगकर्मी विकास कुमार सृजन दर्पण समूह के निर्देशक हैं जो जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत राजपुर निवासी हैं। वे जन्मजात कलाकार हैं, विलक्षण प्रतिभा लेकर पैदा हुए हैं। उन्होंने 10 वर्ष की उम्र में अपना सार्वजनिक कार्यक्रम पेश करते ही सिर्फ जिले में ही नहीं अपितु पूरे कोशी अंचल के मानस पटल पर अंकित हो गये। उन्होंने लगभग 1999 में रंगमंच को बढ़ावा देने वाले संगठन से जुड़कर लोक संस्कृति, लोकनृत्य और ज्वलंत मुद्दे पर अबतक दो दर्जन से अधिक नाटक का लेखन एवं मंचन किया है। और लोकप्रियता की पराकाष्ठा पर पहुंच गए। जब वो कला का प्रदर्शन बड़े-बड़े मंचों से करते हैं तो दर्शकगण सहजता से मंत्रमुग्ध हो जाते और उनके द्वारा नाटक कला की जीवंत किरदार देखकर भोवविवोर हो जातें हैं। उनकी प्रतिभा में अप्रतिम भाव का समावेश है जो सीधे दर्शकों के हृदय को स्पंदित करने लगता है। उन्होंने अपने परंपरा एवं धरोहर को संवारे का रंगमंच के माध्यम से बेहतरीन प्रयास किया है और मानवीय तथा सहज,सरल, नवनीत प्रस्तुति का सृजन किया जो सीधे लोगों के हृदय में उतर जाता है…. और कहते वाह…. वाह…..। एक तरफ परंपरागत की कला को संभालते हुए उन्होंने नये नये युवा कलाकारों को लोक संस्कृति, लोकनृत्य, लोकनाट्य के प्रति प्रशिक्षित कर मंचनीय प्रस्तुति शुरू किये और कई नये अंदाज और मिश्रित लोक संस्कृति का सृजन किये जिसमें विलुप्त होते लोक-संस्कृति, लोकसंगीत इत्यादि का समावेश है वहीं उन्होंने भारतीय संत कवियों, सूरदास, कबीरदास, तुलसीदास, विद्यापति, दिनकर, प्रेमचंद, फणीश्वरनाथ रेणु जैसे दर्जनों महाकवि और संतों की वाणी, पदावलीं, रचना को अलग-अलग अंदाज में नृत्य-नाटिका के जरिए प्रस्तुत कर उन्हें पुनर्जीवन दिया। उन्हें आधुनिक विद्यापति भी कहा जाता है क्योंकि महाकवि विद्यापति की रचना को उन्होंने देश भर में घुम-घुमकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महोत्सव के मंचों पर प्रस्तुत किया और प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त किया वो आमजनों में लोकप्रिय हो गये है।                            कहीं न कही उनके जीवन में भारतीय संस्कृति का संस्कार है जो प्रस्फुटित होकर सूरदास, तुलसीदास, कबीरदास, विंघापति के रूप में प्रकट हुआ है। कोशी गौरव सम्मान 2025 के लिए चयनित होने पर कोशी अंचल के कलाकारों और कलाप्रेमियों में खुशी का माहौल है।

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