12 लाख 48 हजार की फौज में कम हैं एक लाख से ज्यादा सैनिक

सेना ने संसदीय कमिटी को दी जानकारी, उठाए जा रहे हैं कारगर कदम
डेस्क:-भारतीय सेना यानी 12 लाख 48 हजार की फौज। इस फौज में इस वक्त एक लाख से ज्यादा सैनिकों की कमी है। ऐसे वक्त में जब पाकिस्तान से लगती लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर सेना मुस्तैद है ही साथ ही पिछले करीब पांच साल से ईस्टर्न लद्दाख में ही चीन बॉर्डर यानी लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) पर लगातार 50 हजार से ज्यादा सैनिक तैनात हैं। यहां से सैनिकों की संख्या कम करने का अभी कोई प्लान भी नहीं है। पिछले साल जब जम्मू में आतंकी वारदात में बढ़ोतरी हुई तो वहां 15 हजार अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की गई। एक लाख सैनिकों की कमी से जूझ रही सेना सैनिकों को एक जगह से हटाकर दूसरी जगह तैनात कर जरूरतें पूरी कर रही है। रक्षा मंत्रालय की तरफ से संसद की स्टैंडिंग कमिटी को बताया गया कि भारतीय सेना में ऑफिसर्स की (मेडिकल कोर, डेंटल कोर और मिलिट्री नर्सिंग सर्विस को छोड़कर) मौजूदा संख्या (1 जुलाई 2024 को) 42095 है जबकि ऑथराज्ड स्ट्रेंथ 50538 है। इस तरह सेना में 16.71 प्रतिशत ऑफिसर्स की कमी है। इसी तरह सेना में जूनियर कमिशंड ऑफिसर्स और जवानों की संख्या (1 अक्टूबर 2024 को) 1105110 है। जबकि ऑथराइज्ड स्ट्रेंथ 1197520 है। यानी सेना में 92410 (07.72 प्रतिशत) जवानों की कमी है। रक्षा मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि जैसे-जैसे अग्निपथ स्कीम आगे बढ़ेगी वैसे-वैसे जवानों की कमी पूरी होती जाएगी। इसी तरह ऑफिसर्स की कमी को लेकर बताया गया कि ऑफिसर्स की वेकेंसी को भरने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। मंत्रालय ने कहा कि चयन प्रक्रिया में भी सुधार किया गया है। अंतःपुर के नारद मुनि बताते हैं कि सर्विस सिलेक्शन सेंटर्स ने हाल ही में कई नए कदम उठाए हैं। कैंडिडेट्स को उनकी एसएसबी की तारीख के बारे में अलग-अलग माध्यम से याद दिलाया जाता है ताकि किसी की डेट मिस ना हो।            किसी वजह से किसी कैंडिडेट का एक चांस मिस हो गया तो उसे दूसरा मौका भी दिया जा रहा है। शॉर्ट सर्विस के लिए वेकेंसी ज्यादा होती है लेकिन बैच कम होते थे। अब बैच की संख्या दोगुने से ज्यादा कर दी गई है। जिससे आने वाले कैंडिडेट्स में सिलेक्ट होने वाले कैंडिडेट्स का रेशियो बढ़ा है। साथ ही पहले जहां डॉक्यूमेंटेशन में ज्यादा वक्त लगता था वहीं अब फॉर्म के साथ ही पहले डॉक्यूमेंट अपलोड करने का ऑप्शन दिया जा रहा है। यह अभी अंडर प्रोसेस है। इसी तरह जहां मेडिकल में 08-10 दिन लगते थे वहीं अब इसे 02 से 03 दिन में करवाया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि कोविड की वजह से दो साल तक सैनिकों की भर्ती नहीं हुई थी। जबकि हर साल 60 हजार सैनिक रिटायर हुए और कोविड वाले दो सालों में करीब 01 लाख 20 हजार सैनिक रिटायर हुए। फिर 2022 से अग्निपथ स्कीम के तहत अग्निवीर की भर्ती हुई और पहले और दूसरे साल दोनों बार 40-40 हजार अग्निवीर भर्ती किए गए। सेना में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा है लेकिन पिछले साल जम्मू में हुए आतंकी हमलों के बाद यह सवाल उठने लगा था है कि क्या तकनीक सैनिकों की कमी पूरी कर सकती है। ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर तनाव बढ़ने के बाद से वहां 50 हजार सैनिक डटे हुए हैं। जम्मू से हटाकर कई सैनिकों को वहां भेजा गया। जिन जगहों पर सैनिकों की संख्या कम की गई वहां आतंकियों को फिर से पनपने का मौका मिल रहा है। आतंकियों का फन मड़ोड़ने के लिए सैनिकों की कमी को पूरा करना नितांत जरूरी है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
अब पायें अपने शहर के सभी सर्विस प्रवाइडर के नंबर की जानकारी एक क्लिक पर


               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Mytesta.com