पीएमसीएच में 1228 और जी.जी.एस.एच. में 999 महिलाओं को किया गया है इम्प्लांट

पटना:-सब डर्मल इम्प्लांट की उपयोगिता, प्रभाव एवं लाभार्थियों की राय जानने की कवायद में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बी.एम.जी.एफ.) की टीम ने बुधवार को पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का भ्रमण किया. टीम ने स्वास्थ्य अधिकारियों एवं स्वास्थ्य कर्मियों से बातचीत कर इम्प्लांट के बारे में विस्तार से जानकारी ली।          टीम ने चल रहे स्वास्थ्य कार्यक्रमों की पूरी जानकारी ली तथा उनके सुदृढ़ीकरण, अवसर एवं चुनौतियों को समझा. फाउंडेशन की टीम ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर विस्तृत चर्चा की.पटना में 2227 महिलाओं ने अपनाया सब डर्मल इम्प्लांट:-आधिकारिक जानकारी के अनुसार, पी.एम.सी. एच में अभी तक 1228 महिलाओं को सब डर्मल इम्प्लांट किया जा चुका है. वहीँ गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में 999 महिलाओं को सब डर्मल इम्प्लांट किया गया है. इस तरह पटना के दोनों संस्थानों को मिलकर 2227 महिलाओं को सब डर्मल इम्प्लांट किया जा चुका है.सब डर्मल इम्प्लांट की स्वीकार्यता में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी, संक्रमण से सुरक्षा एवं काउंसिलिंग की अहम भूमिका:-बी.एम.जी.एफ की टीम के साथ संवाद करते हुए पीएमसीएच की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. गीता सिन्हा ने कहा कि अपने बच्चों के जन्म अंतराल को अपनी मर्जी से सुनिश्चित करने में सब डर्मल इम्प्लांट एक बेहतर विकल्प साबित हुआ है. इम्प्लांट की सेवाएं बहुत ही प्रभावशाली हैं और कोई भी महिला इसे अपनाकर 3 साल तक अनचाहे गर्भधारण से बच सकती है. महिलाओं में इसकी स्वीकार्यता लगातार बढ़ रही है.अस्थायी साधनों पर बढ़ा भरोसा:-सब डर्मल इम्प्लांट की नेशनल मास्टर ट्रेनर डॉ. मीनू शरण ने बी.एम.जी.एफ की टीम को बताया कि धीरे धीरे बास्केट ऑफ़ चॉइस में विस्तार होने से लाभार्थियों में अपने परिवार को सीमित करने के लिया अस्थायी साधनों पर भरोसा बढ़ा है और इसमें सब डर्मल इम्प्लांट की अहम् भूमिका है. काउंसिलिंग के तकनीकों में नवाचार से लाभार्थियों का रुझान बंध्याकरण से हटकर अस्थायी साधनों की तरफ बढ़ा है।           सब डर्मल इम्प्लांट की दूसरी राष्ट्रीय मास्टर ट्रेनर डॉ. रानू सिंह ने कहा कि प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा इच्छुक लाभार्थियों को सब डर्मल इम्प्लांट किया जाता है. सब डर्मल इम्प्लांट लगाने की प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार के संक्रमण से सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है. इम्प्लांट करने से पहले एवं बाद में भी लाभार्थियों की पूरी काउंसिलिंग तथा नियमित फॉलो अप किया जाता है।

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