जिले को हाथीपांव मुक्त बनाने में रोगी हितधारक मंच निभाएगा अहम भूमिका

भभुआ:- फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर सरकार ने कमर कस लिया है। 2027 तक देश को हाथीपांव मुक्त बनाने को लेकर सरकार लगातार कार्य रही है। इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ सहयोगी संस्थाएं भी लगातार अपने क्षेत्र को फाइलेरिया मुक्त बनाने में जुटी हुई है। इधर कैमूर जिले में भी स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ सहयोगी संस्था लगातार कार्य करके जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने में जुटी हुई है। इसी के तहत जिले के रामपुर प्रखंड स्थित खरेंदा पंचायत एवं पसाई पंचायत स्थित हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर पर रोगी हितधारक मंच का गठन किया गया है। रोगी हितधारक मंच में अहम भूमिका पंचायत के मुखिया निभाएंगे और अपने पंचायत को फाइलेरिया मुक्त मुक्त बनाने में स्वास्थ्य समिति का भी सहयोग करेंगे और अपने पंचायत के क्षेत्र के लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करेंगे। रोगी हितधारक मंच में मुखिया के अलावा वार्ड सदस्य, जीविका दीदी, आंगनबाड़ी सेविका, विद्यालय के प्रधानाचार्य, शिक्षक, पीडीएस डीलर, हाथीपांव के मरीजों के साथ साथ अन्य लोगों को भी शामिल किया गया है। ये सभी लोग अपने-अपने स्तर से फाइलेरिया उन्मूलन में सहयोग करेंगे। पंचायत को फाइलेरिया मुक्त बनाना हमारा मकसद:-खरेंदा पंचायत के मुखिया दीपक कुमार ने कहा कि हाथीपांव एक खतरनाक बीमारी है और इसकी जानकारी हर लोगों तक पहुंचनी चाहिए।          उन्होंने बताया कि इस बीमारी को लेकर अपने पंचायत के लोगों को जागरूक करेंगे और समय-समय पर जो दवा खिलाई जाती है उसके लिए भी अपने पंचायत को लोगों को प्रेरित करेंगे ताकि मेरा पंचायत फाइलेरिया मुक्त हो सके। इधर पसाई पंचायत के मुखिया शशि भूषण दुबे ने भी अपने पंचायत को फाइलेरिया मुख्य पंचायत बनाने के लिए आगे आए हैं। उन्होंने कहा कि इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए जो भी कार्य होगा उनके द्वारा किया जाएगा और लोगों तक इस बीमारी के बारे में जानकारी पहुंचाई जाएगी और इससे बचने के उपाय भी बताए जाएंगे। फाइलेरिया मरीजों की की जा रही पहचान:-खरेंदा पंचायत स्थित हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर की सीएचओ इंदु कुमारी ने बताया कि पंचायत में हाथी पांव से पीड़ित मरीजों की पहचान की जा रही है उनका लाइन लिस्टिंग भी तैयार किया जा रहा है वही पसाई स्थित हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर की सीएचओ अर्चना ने बताया कि हाथीपांव को लेकर लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की जो भी बैठक होती है उसमें जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ जीविका एवं आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका का भी सहयोग लिया जाता है और इस बीमारी और उसके बचाव के बारे में लोगों तक पहुंचाने के लिए उनसे अपील किया जाता है।

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