बेहतर अनुसंधान के लिए टीम वर्क आवश्यक:-डॉ.प्रो.वी. गीतालक्ष्मी

पटना:-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में शुक्रवार को अमृत काल में कृषि मुद्दे और रणनीतियाँ विषय पर एक संवादात्मक सत्र का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम ‘अमृत काल’ के दौरान भारतीय कृषि के भविष्य पर विचार-विमर्श पर केंद्रित था। मुख्य अतिथि, डॉ.प्रो.वी.गीतालक्ष्मी, कुलपति तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर ने शिक्षा प्रणाली में नवाचार, समस्या-उन्मुख अनुसंधान, किसानों के लिए कृषि परामर्श सेवाएँ, और जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि भारतीय कृषि का रणनीतिक विकास सुनिश्चित किया जा सके। कार्यक्रम में कई प्रख्यात वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने भाग लिया और अपने विचार साझा किए। डॉ. जॉयदीप मुखर्जी, प्रधान वैज्ञानिक, आईएआरआई, नई दिल्ली, ने आधुनिक खेती में परिशुद्ध कृषि (प्रिसीजन एग्रीकल्चर) के महत्व पर चर्चा की। डॉ. कमल प्रसाद महापात्र, प्रधान वैज्ञानिक, एनबीपीजीआर, नई दिल्ली, ने प्रणालीबद्ध और सहयोगात्मक अनुसंधान के महत्व को रेखांकित किया।          डॉ. एस.के. पुर्बे, प्रभारी निदेशक, एमजीआईएफआरआई, मोतिहारी, ने मात्रात्मक से गुणात्मक अनुसंधान के बारे में बताया और उद्योग प्रेरित तकनीकों की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. एस.पी. सिंह, प्रमुख, सीपीआरएस, पटना, ने कृषि विकास में आलू उत्पादन की रणनीतिक महत्ता को बताया। डॉ. समरेन्द्र हजारिका, प्रमुख, डीएसआरई, भा.कृ.अनु.प.-उत्तर पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र अनुसंधान परिसर, उमियम, मेघालय, ने मृदा क्षरण, जलवायु परिवर्तन, और गिरते भूजल स्तर जैसी प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डाला। डॉ. के.के. सतपथी, पूर्व निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-एनआईएनएफईटी, कोलकाता, ने अनुसंधान दक्षता बढ़ाने में हालिया वैज्ञानिक तकनीकों की भूमिका को उजागर किया। डॉ. उज्ज्वल कुमार, प्रमुख, सामाजिक-आर्थिक एवं प्रसार, भा.कृ.अनु.प.-पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना, ने संस्थान की सामाजिक-आर्थिक अनुसंधान गतिविधियों और विकसित तकनीकों को किसानों के खेतों तक पहुँचाने में प्रसार शोधकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया। इससे पूर्व, डॉ. अनुप दास, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना ने सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया और संस्थान की अनुसंधान, प्रसार, प्रशिक्षण, और शिक्षण गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों, प्रगतिशील परियोजनाओं, और पूर्वी भारत में संस्थान की भविष्य की अनुसंधान रणनीतियों के बारे में जानकारी साझा की। डॉ. शंकर दयाल, प्रधान वैज्ञानिक, भा.कृ.अनु.प.-पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
अब पायें अपने शहर के सभी सर्विस प्रवाइडर के नंबर की जानकारी एक क्लिक पर


               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Mytesta.com