भोजपुर में चमकी को धमकी : खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ

आरा:-बढ़ती गर्मी और तापमान में हो रही बढ़ोत्तरी के कारण भोजपुर समेत अन्य जिलों में चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम/एईएस) की धमक से राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में है। इसको लेकर भोजपुर जिले में भी एईएस से बचाव की तैयारियां लगभग पूरी की जा चुकी है। चमकी बुखार की तैयारियों का अनुश्रवण जिलाधिकारी तनय सुल्तानिया स्वयं कर रहे हैं, ताकि चमकी बुखार की चपेट में आने से बच्चों और लोगों को बचाया सके। इस क्रम में जिलाधिकारी ने बीते दिनों चमकी बुखार की तैयारियों की समीक्षा भी की थी, जिसमें उन्होंने चमकी बुखार व जेई से बचाव के लिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी दिए। इसको लेकर सिविल सर्जन डॉ. शिवेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि इस वर्ष अप्रैल माह में जिले में चमकी बुखार के दो मामले सामने आए। जिनका समय रहते इलाज कराया गया। इसको देखते हुए जिले में एईएस प्रबंधन व प्रचार प्रसार की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। साथ ही, जिले के सभी प्रखंडों में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पांच-पांच बेड का डेडिकेटेड वार्ड बना लिया गया है। जहां पर पंखा, कूलर व एसी इत्यादि की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, आरा सदर अस्पताल में 10 बेड व अनुमंडलीय अस्पतालों में भी पांच-पांच बेड का डेडिकेटेड वार्ड बनाया गया है। आशा कार्यकर्ताओं को किया जा चुका है प्रशिक्षित:-जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी सह डीआईओ डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि चमकी बुखार के प्रबंधन व लोगों के बीच जागरूकता के लिए जिला स्वास्थ्य समिति पूरी तरह से तत्पर है। इस क्रम में सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों पर एईएस से बचाव को लेकर संबंधित दवाएं उपलब्ध कराई जा चुकी हैं। साथ ही, चमकी को धमकी के तहत प्रखंड स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षित किया जा चुका है।           उन्होंने बताया कि चमकी बुखार से एक से 15 वर्ष तक के बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं। लेकिन समय पर इलाज होने से जल्द ही ठीक हो सकता है। उन्होंने कहा कि चमकी को धमकी के तहत तीन बातों को जरूर याद रखना चाहिए। खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ। चमकी से बचाव के तहत सबसे अहम बात यह है कि बच्चे को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाएं, सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाएं और देखें बच्चा कहीं बेहोश या उसे चमकी तो नहीं है। बेहोशी या चमकी को देखते ही उसे तत्काल एंबुलेंस या किसी अन्य गाड़ी से अस्पताल ले जाए। लोगों में चमकी के लक्षणों की जानकारी जरूरी:-डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने कहा कि एईएस से बचाव के लिए लोगों में चमकी बुखार की जानकारी जरूरी है। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से पंचायतों में चमकी बुखार के लक्षणों की जानकारी दी जा रही है। लोगों को बताया जा रहा है कि बच्चों में चमकी बुखार के लक्षण देखना काफी सरल है। यिद किसी बच्चे में सर दर्द तेज बुखार रहना, जो 5 से 7 दिनों से ज्यादा का ना हो, अर्ध चेतना एवं मरीज में पहचान की क्षमता न होना, भ्रम की स्थिति में होना, बच्चों का बेहोश हो जाना, शरीर में चमक होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना, पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर का अकड़ जाना, बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक न होना चमकी बुखार के लक्षण है। इनमें कोई भी लक्षण दिखे तो उसे तत्काल अस्पताल ले जाएं। साथ ही, बच्चों के माता-पिता व अभिभावकों को सामान्य उपचार एवं सावधानियों के प्रति जानकारी दी जा रही है। जैसे वो अपने बच्चों को तेज धूप से बचाएं, बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं, गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नींबू पानी व चीनी का घोल पिलाएं। वहीं, सबसे जरूरी बात यह कि रात में बच्चों को खाना खिलाकर ही सुलाएं।

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