2024-25 में बाल ह्रदय योजना के तहत राज्य के 763 बच्चों को मिली नयी जिंदगी

पटना:-मुख्यमंत्री बाल ह्रदय योजना जन्म से ह्रदय में छेद वाले बच्चों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है. वर्ष 2024-25 में ह्रदय में छेद वाले ऐसे 763 बच्चों की इस योजना के तहत सफल सर्जरी की गयी है. योजना के तहत राज्य के दो प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों, इंदिरा गाँधी ह्रदय रोग संस्थान (आइजीआइसी) एवं इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमस), पटना को समर्पित स्वास्थ्य संस्थान के रूप में चिन्हित कर बच्चों का निशुल्क इलाज कराया जा रहा है.स्क्रीनिंग से लेकर आने-जाने तक का हर खर्च सरकार करती है वहन:-बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर समस्या है।        बाल ह्रदय योजना के तहत 0-18 वर्ष के बच्चों को निशुल्क उपचार व ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है. सुशासन के कार्यक्रम के अंतर्गत सात निश्चय-2 के तहत हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों के निशुल्क उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु नई योजना बाल हृदय योजना पर 5 जनवरी, 2021 को मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृति दी गई. योजना 1 अप्रैल, 2021 से लागू है. इसके लिए 13 फरवरी, 2021 को बिहार सरकार ने प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाउंडेशन के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया था. प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाऊंडेशन, अहमदाबाद स्थित एक चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल है तथा इसके द्वारा बाल हृदय रोगियों की पहचान कर मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. जबकि बच्चों की शुरूआती स्क्रीनिंग से लेकर बच्चों के आने-जाने का खर्च बिहार सरकार वहन करती है.6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए विशेष प्रावधान:-राज्य सरकार द्वारा 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के साथ माँ के अतिरिक्त एक और परिजन के खर्च का भी वहन करती है. राज्य के बाहर के चिन्हित चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल, निजी अस्पताल में चिकित्सा के लिए आने-जाने के लिए परिवहन भाड़े के रूप में बाल हृदय रोगी के लिये 5,000 रूपये एवं अटेंडेंट के लिए अधिकतम धन राशि 5,000 हजार रूपये से बढ़ाकर 10,000 रूपये कर दी गई है, जिसका वहन राज्य सरकार करती है. उनके साथ एक समन्वयक भी रहते हैं, जो इलाज के बाद बच्चों के साथ वापस आते हैं. 100 बच्चों में 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से होते हैं ग्रसित:-बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर समस्या, बीमारी है. एक अध्ययन के अनुसार, जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में से 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं, जिनमें से लगभग 25 प्रतिशत नवजात बच्चों को प्रथम वर्ष में शल्य क्रिया की आवश्यकता रहती है।

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