जदयू से अभिषेक गजेंद्र मुन्ना का इस्तीफा, बिहार की राजनीति में एक युवा नेतृत्व का नया मोड़

सहरसा:-बिहार की छात्र राजनीति से उठकर संगठनात्मक राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले अभिषेक गजेंद्र मुन्ना ने सोमवार को जदयू से औपचारिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। यह कदम केवल एक राजनीतिक दल से विदाई नहीं, बल्कि एक विचारधारा की पुनर्परिभाषा और सामाजिक परिवर्तन के नए संकल्प की शुरुआत है।राजनीतिक यात्रा की नींव:-पटना विश्वविद्यालय से सहरसा तक राजनीति में अभिषेक का प्रवेश पटना विश्वविद्यालय, जिसे बिहार की राजनीति की नर्सरी कहा जाता है से हुआ। छात्र जदयू के माध्यम से संगठनात्मक राजनीति में प्रवेश करते हुए उन्होंने युवाओं के मुद्दों को मंच दिया और धीरे-धीरे युवा जदयू के प्रदेश सचिव और प्रदेश प्रवक्ता जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्यभार संभाला। अभिषेक ने सिर्फ मंचीय राजनीति नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर जनसंवाद और भागीदारी को प्राथमिकता दी। सहरसा जिले में वे जिला परिषद और उपमहापौर जैसे महत्वपूर्ण चुनावों में प्रत्याशी के रूप में उतरे और स्थानीय जनता से सीधा संवाद बनाकर राजनीति को लोगों के बीच ले जाने का प्रयास किया। इस्तीफे का निर्णय एक आत्ममंथन और भविष्य दृष्टि का परिणाम। अपना इस्तीफा सौंपते समय अभिषेक गजेंद्र मुन्ना ने कहा कि जदयू नेतृत्व का आभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने मुझे राजनीति समझने, सीखने और सेवा करने के अवसर दिए। लेकिन आज की बदलती राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों में मुझे लगता है कि एक नई सोच, नई ऊर्जा और नई दिशा की आवश्यकता है। मेरा उद्देश्य सिर्फ पद पाना नहीं, बल्कि लोगों के दिलों और जरूरतों से जुड़ना है।                         उन्होंने कहा कि आज की राजनीति को युवाओं की आवाज, जनसरोकार और सामाजिक समानता के मुद्दों को गंभीरता से लेने की जरूरत है और यदि पुरानी व्यवस्था में वह स्थान नहीं बन पा रहा, तो परिवर्तन का रास्ता खुद बनाना होगा। राजनीति में नए अध्याय की तैयारी:-इस इस्तीफे के बाद बिहार की राजनीति में यह चर्चा गर्म है कि अभिषेक गजेंद्र मुन्ना अगला राजनीतिक कदम किस दिशा में उठाएंगे। क्या वे किसी अन्य दल का हिस्सा बनेंगे या युवाओं और जनता के सहयोग से कोई स्वतंत्र राजनीतिक मंच खड़ा करेंगे यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन इतना तय है कि वे जहां भी होंगे, वहां विचार होगा, संवाद होगा और समाज के नये विमर्श की शुरुआत होगी। समाज के लिए सोच और कार्य:-अभिषेक हमेशा से शिक्षा, युवाओं के हक, ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर मुखर रहे हैं। वे मानते हैं कि राजनीति का मतलब सिर्फ चुनाव लड़ना नहीं, बल्कि सामाजिक व्यवस्था को चुनौती देना और उसे संवेदनशील, समावेशी और उत्तरदायी बनाना है।

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