बदलता दौर: बेटियाँ खुद रच रही हैं अपने सपनों की कहानी

सहरसा:-कभी समाज में यह धारणा आम थी कि लड़की पढ़-लिख कर क्या करेगी, अंततः तो उसे चूल्हा-चौका ही संभालना है। लेकिन अब समय करवट ले चुका है।           बिहार सरकार के “महिला संवाद” कार्यक्रम ने इस सोच को चुनौती दी है और यह साबित कर दिया है कि अब बेटियाँ अपने भविष्य की राह खुद तय कर रही हैं। सहरसा की महिलाओं की बुलंद आवाज: शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार बनी प्राथमिक मांग: सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड में आयोजित “महिला संवाद” कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएँ जुटीं और अपनी समस्याओं के साथ-साथ सुझाव भी साझा किए। महिलाओं ने विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और स्थायी स्वरोजगार के लिए सरकार से ठोस पहल की माँग की। छात्रा शिम्पी कुमारी ने मंच से अपनी बात रखते हुए कहा कि आज की लड़कियाँ आत्मनिर्भर बन चुकी हैं और हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं।           उन्होंने कहा कि महिलाएँ अब अपने हक के लिए खुलकर आवाज़ उठा रही हैं और समाज में नई चेतना का संचार हो रहा है। “महिला संवाद” ने ग्रामीण महिलाओं को एक ऐसा मंच दिया है, जहाँ वे अपनी बातें खुलकर कह रही हैं। कार्यक्रम में भाग लेने वाली कई महिलाओं ने बताया कि अब वे सरकारी योजनाओं और अपने अधिकारों के बारे में अधिक जागरूक हो चुकी हैं। वे पहले की तुलना में अधिक आत्मविश्वासी महसूस कर रही हैं। कार्यक्रम के दौरान कई महिलाओं ने बताया कि उनके गांवों में पहले सड़क, बिजली और नाली जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी थी।    हालांकि अब स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन फिर भी कई क्षेत्रों में इन सुविधाओं की निरंतर निगरानी और सुधार की ज़रूरत है। सहरसा जिले के विभिन्न प्रखंडों की महिलाओं ने पेयजल की समस्या को प्रमुख मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि नल-जल योजना के बावजूद कई जगहों पर पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है, जिससे दैनिक कार्यों में काफी दिक्कतें आ रही हैं। जीविका से मिली ताक़त, अब महिलाएँ बन रही हैं प्रेरणा:-सरकार की योजनाओं जैसे ‘जीविका’ से मिली आर्थिक सहायता ने महिलाओं को न केवल स्वावलंबी बनाया है, बल्कि उनमें नेतृत्व की भावना भी जागृत की है। जो महिलाएँ पहले मंच पर बोलने से कतराती थीं, वे अब पूरे आत्मविश्वास से अपने विचार साझा कर रही हैं। कार्यक्रम के अंत में सभी महिलाओं ने सामूहिक रूप से यह संकल्प लिया कि वे स्वयं को और अन्य महिलाओं को सशक्त बनाएँगी। साथ ही बाल विवाह, घरेलू हिंसा और अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष करेंगी और एक आदर्श गाँव की स्थापना की दिशा में कार्य करेंगी।  “महिला संवाद” कार्यक्रम न केवल सहरसा की महिलाओं को जागरूक कर रहा है, बल्कि उन्हें समाज में बदलाव लाने का माध्यम भी बना रहा है। आज की बेटियाँ खुद अपनी पहचान बना रही हैं और एक सशक्त, समान और न्यायपूर्ण समाज के निर्माण की ओर अग्रसर हैं।

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